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बहुजन समाज पार्टी की विचारधारा

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Samajik Parivartan Sthal बहुजन समाज पार्टी की विचारधारा देश व सर्वसमाज के हित मे हैँ! भारत मे मनुवादी व्यवस्था के तहत जो गैर बराबरी वाली सामाजिक व्यवस्था बनी है, उसे बदलकर " समतामूलक-समाज-व्यवस्था "बनाना चाहती है! इस व्यवस्था परिवर्तन मे यदि स्वर्ण समाज मे से जो लोग अपनी मनुवादी मानसिकता को छोड़कर, इसमे सहयोग देते हैं, ऐसे लोगों का पार्टी मे स्वागत किया जाएगा, अर्थात्‌ उन्हें बहुजन समाज की तरह, हर मामले  मे  उनकी लगन व कार्यक्षमता एवं विश्वसनीयता को ध्यान मे रखकर, पूरा आदर-सम्मान भी दिया जाएगा  !  लेकिन बसपा की  विचारधारा के बारे मे एक सोची-समझी  राजनीतिक साजिश के तहत मनुवादी पार्टियों के लोग अक्सर यह प्रचार-प्रसार करते हैं कि यह पार्टी जातिवादी है, जबकि इसमे रत्ती बराबर भी कोई सच्चाई नहीं  है  ! वैसे बहुजन समाज को बनाते समय,उनको झकझोर के  लिए हम  जाति की बातें जरूरत करते हैं, परंतु इसका मतलब यह नहीं कि इस पार्टी को बनाने वाले  लोग जातिवादी है  ! सच तो यह है कि इस समाज के लोग ही जातिवाद के शिकार है और  जो जातिवाद के शिकार हैं, वे जातिवादी कैसे हो  सकते  हैं ? वे जातिवादी कभी 

अम्बेडकर गांव: विकास की नयी सुबह का आगाज- बहन जी

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chief minsiter Km Maywati ji  सितंबर 1996  मे उत्तर प्रदेश की 13 वी विधानसभा के लिए हुए चुनाव मे जनता ने किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं दिया  ! बीजेपी को  174 सीटें मिली थी तथा समाजवादी पार्टी  को  110 सीटें! यह चुनाव बसपा ने काँग्रेस पार्टी के साथ मिलकर लड़ा था हम दोनों को क्रमश: 67 और 33 सीटें  मिली थी! तब मई 1996 के लोकसभा चुनाव के बाद केन्द्र मे काँग्रेस की मदद से संयुक्त मोर्चा की सरकार चल रही थी, जिसमें श्री मुलायम सिंह यादव प्रतिरक्षा मंत्री बने हुए थे  !  काँग्रेस पार्टी को मगर इतनी अक्ल नहीं आयी की केन्द्र मे संयुक्त मोर्चा की सरकार को समर्थन देने के एवज मे उत्तर प्रदेश मे सरकार के गठन हेतु सहयोग मांगे और सहयोग न मिलने पर केंद्रीय सरकार से काँग्रेस द्वारा समर्थन वापिस लेने की कारवाई करे !  इस प्रकार उत्तर प्रदेश मे चुनाव के बाद भी त्रिशंकु सदन के कारण राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया  ! लेकिन सभी राजनीतिक पार्टियों को आने वाले समय मे यह एहसास हुआ कि उत्तर प्रदेश मे वास्तव मे राष्ट्रपति शासन न  होकर श्री मुलायम सिंह यादव की पर्दे के पीछे से हुकूमत चल रही है! फिर राजनीतिक हलचल

हमारा संघर्ष किसी जाति या वर्ग से नहीं,व्यवस्था के विरुद्ध है - बसपा

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बहुजन समाज डबल गुलाम है  बहुजन समाज पार्टी का संघर्ष किसी जाति,धर्म या वर्ग के विरोध में नहीं बल्कि मनुवादी व्यवस्था अर्थात ऊँच-नीच असमानता के विरोध में हैं! जातिगत भेदभाव खतम किये बिना भारत स्वस्थ्य लोकतांत्रिक देश नहीं बन सकता क्योंकि सामाजिक लोकतन्त्र के बिना राजनीतिक लोकतन्त्र सफल होना नामुमकिन है! भारतीय समाज में  आर्थिक असमानता का सबसे बड़ा कारण  भारतीय समाज मे सामाजिक लोकतन्त्र का  नहीं  होना है  ! अंग्रेजों के भारत छोड़ने से पूर्व बाबासाहेब डॉ अम्बेडकर ने उनको चेताया कि आप दलितों पिछड़ों का हक दिलवाकर जाएं! इस देश का मूलनिवासी अर्थात बहुजन समाज डबल गुलाम है! सवर्णों का गुलाम  और सवर्ण अंग्रेजों के गुलाम !  baba saheb& kanshiram  बाबासाहेब का दूसरा नाम कांशीराम  बाबासाहेब डॉ अम्बेडकर को अंतिम दिनों में यह चिंता थी कि मेरे पश्चात इस बहुजन समाज को  कौन देखेगा ! उनकी शंका सही सिद्ध हुई! बाबासाहेब के देहावसान के बाद दलित शोषित समाज का लंबे अर्से तक कोई अगवा नहीं रहा! जो लोग बाबासाहेब का कारवां आगे बढ़ाने की बात करते रहे वो मनुवादी राजनीतिक दलों में शामिल हो  गए और चाटुकारिता में

कुछ भटके हुए लोगों के सवालों के ज़वाब - महापुरुषों का मिशन है बसपा 🐘🐘🐘🐘🐘🐘🐘

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BSP  कुछ भटके हुए लोगों के सवालों के ज़वाब - महापुरुषों का मिशन है बसपा 🐘🐘🐘🐘🐘🐘🐘 यह सत्य है कि बसपा महापुरुषों की सीची गई पार्टी है और महापुरुषों के अथक प्रयासों से ही हम लोगों को  मौर्य काल के बाद दोबारा राजनीति में भागीदारी मिली ! जिसके फलस्वरूप हमारा राजनीति में वर्चस्व दोबारा आया और बहन जी के कार्यकाल में बसपा द्वारा ऐसे कार्य किए गए जो कभी भी भुलाए नहीं जा सकते ! ना  ही उनको नजरअंदाज किया जा सकता है मगर यह महापुरुषों की सीची गई पार्टी सदा जीवित रहे  और यह कारवां  यूं ही आगे बढ़कर सभी प्रदेशों में जबकि पूरे देश में राजनीतिक परिवर्तन लाकर महापुरुषों की विचारधारा को संपूर्ण देश में लागू करें! यह महापुरुषों की सोच थी और सभी मिशनरी साथियों की सोच थी   मगर वर्तमान के हालात को देखकर कोई भी साथी इन सवालों के जवाब देकर यह संतुष्ट करें की जो कार्य वर्तमान में हो रहे हैं या जो कार्यशैली वर्तमान की है उस हिसाब से  महापुरुषों के कारवां को आगे बढ़ा पाएंगे ? और ऐसी विकट परिस्थिति में हमें क्या करना चाहिए?   * सवालः *  1. क्या बहन जी जब से पार्टी की कर्ताधर्ता  बनी है उन्होंने कोई भी नेता त

बसपा उगता सूरज

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वक्त परिवर्तनशील है ! समतामूलक समाज बनाने के लिए विचारधारा महत्वपूर्ण है! विचारधारा का जुडाव कभी  नहीं  टूट सकता! विचारधारा से जुड़ने से  पहले उस विचारधारा को  जानना और फिर सहमत होना आवश्यक है! हर एक  दल अर्थात राजनीतिक दल की  अपनी  नीति और चुनावी  रणनीति है  मगर भोले भाले लोग चुनावी रणनीति को ही नीति और विचारधारा समझ लेते हैं! धीरे-धीरे सब छाए बादल छट  जाएंगे और आसमान नीला नजर आएगा! धर्य रखें सब अच्छा होगा भारत के लोग अतिथि को  भगवान मानते हैं मगर अतिथि की  मानसिकता अगर खराब है तो अतिथि का सत्कार भी अपने ढंग से करते हैं 🙏🙏🙏🙏🙏 अब ये जिम्मेदारी उन गरीब वंचित वर्गों की बन गई है  उन सामजिक संस्थाओ कि भी जिनके कुछ लोग समतामूलक समाज की विचारधारा को  समझते और मानते हैं! अपने आस-पास में गरीब वंचित मजदूर किसान को  बहुजन समाज पार्टी की  विचारधारा से  अवगत कराएं! बहुजन समाज पार्टी की विचारधारा भारतीय संविधान को पूर्ण रूप से लागू करके सामाजिक-आर्थिक विकास के  सूचकांक में भारत को सर्वोपरि रखना है ! आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ वैज्ञानिक शिक्षा नीति को लागु करना जिसका भारतीय   संविधान सरकारों को आ

सामाजिक न्याय सामाजिक परिवर्तन से सम्भव- कांशी राम ज़ी

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आज बात मान्यवर कांशीराम साहब के आत्मविश्वास की, साहब ( कांशीराम ) में आत्मविश्वास कूट कूट कर भरा था । यह साहब का आत्मविश्वास ही था जोकि भारत में  बहुजनों के इतने बड़े आंदोलन को खड़ा कर गया । मेरे एक उदाहरण से बात बिल्कुल ही साफ हो जाएगी । बात आज से 35 साल पुरानी है । उत्तर प्रदेश के आम चुनाव का मौका था । मैं साहब को इटावा चुनाव प्रचार हेतु फरुखाबाद से लेने के लिए गया हुआ था । सुबह तड़के ही फरुखाबाद पहुंच गया था । मैं साहब के साथ साथ उस दिन फरुखाबाद में चुनाव प्रचार हेतु घूमा भी था । जनाब श्री  सादिक नवाज़ जी  ( पूर्व RPI लीडर ), जिनके बेटे चुनाव लड़ रहे थे शायद , वह भी हमारे साथ में थे । कुल मिलाकर साहब के साथ हम चार या पांच लोग मात्र ही थे । जहाँ भी प्रचार हेतु जाते वहाँ भी बामुश्किल चार पाँच लोग ही जुट पाते थे । मुझे बड़ी ही शर्मिदगी महसूस हो रही थी यह सब देखकर वहीँ साहब का चेहरा आत्मविश्वास से लबरेज़ था । साहब के चेहरे पर कोई शिकन रंच मात्र भी नहीं थी । संलग्न फोटो भी उसी समय 10 फरवरी 1985 की ही है , जोकि मेरे द्वारा तब खींचीं गई थी । फोटो में जितने लोग फ्रेम में दिखाई दे रहे हैं ,

बहुजन समाज पार्टी को आर्थिक सहयोग भारत हितैषी

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हमारा प्यारा देश भारत सदियों परतंत्र रहा उसके पीछे एक ही कारण कुछ मुट्ठी भर लोग वयपार करने के बहाने धीरे धीरे कब भारतीयों को ग़ुलाम बना गये मूलभारतीयों को आभास तक ना हुआ ।आज़ादी हासिल करना  जितना मुश्किल है उतना ही मुश्किल लोकतंत्र को अर्थात आज़ादी को बनाए रखना है एक तथ्य के साथ इसको समझने का प्रयास करते हैं !  अमेरीका भी लोकतांत्रिक और संसार में एक शक्तिशाली राष्ट्र है। वर्तमान में अमेरिका में डोनलड टर्म एक बड़ा पेशेवर वयपारी राष्ट्रपति के पद पर है। वंहा का एलेक्ट्रोनिक मीडिया पक्षपाती है मीडिया दो राजनीतिक पार्टियों में बँटा हुआ है कुछ एलेक्ट्रोनिक मीडिया डेमोक्रेटिक पार्टी के साथ है और कुछ मीडिया रेपब्लिकन पार्टी के साथ है इसलिए अमेरिकन को अपने राष्ट्र हित को समझने में आसानी होती है ।  बसपा अमीरों से नहीं ग़रीबों से लेती है आर्थिक सहयोग : The Newyork Times and Washington post दो मुख्य समाचार पत्र हैं जिनका 80 प्रतिशत तक धन आम जनता के subscription (अंशदान) से आता है और ये अख़बार सही सूचना तथ्य के साथ जो अमेरिकन के हितकारी है अपने समाचार पत्र के माध्यम से लोगों तक भेजते हैं ।अख़बार ना

संविधान क्या है ?

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 संविधान ,नागरिक व सरकार के मध्य एक दस्तावेज है जिसमें मानव को आज़ादी,व सरकार शक्ति के लिये  उसको प्रयोग करना अपना अधिकार मानती है । मानव अधिकार व सरकारी शक्ति को संयमित करने के लिए  सभ्य समाज में संविधान कीं विशेष  ज़रूरत है ।  सरकार व मानव के बीच संतुलन जो पैदा करे वही संविधान  है ।  संविधान का मतलब है सर्वश्रेष्ठ विधान और विधान को ही आम बोलचाल की भाषा में  कानून अर्थात विधान  कहा जाता है !लोगों के वयवहार को राज्य और समाज में कानूनी  रूप से निर्देशित करने को ही सविधान कहा जाता है ! संविधान जो सरकार बनाता है और  सरकार जो कानून बनाती है वो संविधान के अनुसार होने चाहिए ! सारे के सारे कानून संविधान के निचे आते हैं ! वयवस्थापिका (संसद) जो कानून बनाए वो संविधान के अनुरूप होने चाहिए अर्थात संविधान जिन कानूनों को बनाने की इज्जाजत सरकार को देता है उसी प्रकार के कानून सरकार बना सकती है इसलिए प्रत्येक कानून को संविधान के अनुरूप होना जरुरी होता है ! कानून को लागू करने के लिए बहुत सारे नियम बनाने पड़ते हैं ! कुछ छोटे कानून होते हैं जिनको कार्यपालिका बनाती  है इन नियमो के बिना असली कानून को

वाल्मीकियो जागो कलम ✍️ पकड़ो

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भारत में सफ़ाई करने वाले  विशेष जाति भंगी, मेहतर , वाल्मीकि के लोग होते हैं  । मगर क्यों होते हैं आज इसका शोध करना ज़रूरी है ? आदिकाल में सेना में रहकर देश को बाहरी ख़तरों से रोकते थे ,सीमाओं को सुरक्षित रखते थे ,उनको एक षड्यंत्र के तहत ग़ुलाम व घिनोना काम करने के लिए विवश किया  । भारत आज इसलिए गंदगी से भरा हुआ है क्योंकि 135  करोड़ लोगों का गंद एक जाति के लोग कैसे साफ़ कर सकते हैं ?  भारत में जातिगत भेदभाव व ऊँच नीच की भावना कुट  कुट कर भरी हुई है की सफ़ाई एक जाति का ही काम है अब एक घटिया रोज़गार का ज़रिया बना हुआ है । पीठ  पीछे सामान्य लोगों की मानसिकता दिखाई पड़ती है जब कोई सफ़ाईकर्मी आता है कुछ ज़्यादा नही बोलते क्योंकि उनको डर है अन्यथा वो गटर की दुर्गंध सूंघते रहेंगे । जाने के बाद अपमान करने और औक़ात दिखाने में कमी नही छोड़ते ।इस अमानवीय काम का त्याग ही समाज को गतिशील कर सकता है कुछ कारण व निवारण बाबा शाहेब के मिशन व भारत को एक महान राष्ट्र बनाने में उपयोगी होंगे । शारीरिक ताकतवर लोगों का इतना अपमान क्यों कब और कैसे हुआ और इससे उभरने के कुछ तरीक़ों पर चिंतन ही इस लेख का मुख्

मंदिर में दान करने से पहले अपने समाज को देख ले,शायद आपके दान की ज़रूरत आपके समाज को हो सकती हैं

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दुनिया  जो इतनी खूबसूरत है इसके पीछे महान लोगों की सोच है इसको सुंदर बनाने में बहुत वज्ञानिको ने अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया । अकर्मण्यकारी लोगों ने  दुनिया दुखी है इसके कारण व निवारण खोजे बिना दुःख को धर्म से जोड़कर उसका  धंधा निर्माण करके शोषण करने के मार्ग प्रशस्त किये । आज भारत धार्मिक अंधविश्वास से धन उत्पादन करने में विश्व का पहला शक्तिशाली देश है । ग़रीबी को सीधे भगवान की अवहेलना और अज्ञानता का फ़ायदा उठाकर धार्मिक अर्थव्यवस्था को मज़बूत किया गया इसमें राजनीतिक लोगों ने भरपूर इन धार्मिक वयपारियों का  साथ दिया । धार्मिक धंधे की शुरुआत  में पहले भावनाओं को पैदा करके  फिर उनको भड़काने की विधि और उत्पादन की मार्केटिंग किसी अदृश्य शक्ति के होने की गारंटी देकर , ग़रीबी को कुछ ही समय में ख़त्म करने के लालच के साथ लोगों के सामने बेचने को भेजा जाता है । धन दौलत अर्जित करने के तरीक़े अपनी धार्मिक प्रयोगशाला में तैयार किये जाते है । ग़रीबी उन्मूलन के इस फ़ोर्मूले में भारत की भोली भाली जनता फँसती चली गई और भारत कुछ ही समय में विश्व में धर्म से अर्जित करने वाला महान धार्मिक आर्थिक महा

हिन्दू कोड बिल क्या था ?

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hindu code bill draft हिन्दू समाज की जनसँख्या भारत में 80 % है यह समाज जातियों और उपजातियों में बंटा  हुआ, हर जाति, उपजाति के अपने सामजिक नियम  व नियमों  की जटिलता में झकड़ा हुआ था ! असभ्य ,धार्मिक कर्मकांडो में फँसा हुआ मानव समाज का एक बहुत बड़ा हिस्सा, समाज में ऊँच  नीच की वजह से भारत बहुत बार ग़ुलाम हुआ । इस बुराई का स्थाई समाधान करने के लिये हिंदू कोड बिल का प्रतिपादन हुआ । बाबा साहेब Dr. भीम राव आंबेडकर आज़ाद भारत के प्रथम  केंद्रीय  कानून मंत्री ने भारत के बहुसंख्यक हिन्दू समाज को एक सभ्य व् शिक्षित समाज बनाने के लिए हिन्दू कोड बिल ड्राफ्ट को तैयार किया ! आंबेडकर जी को ये भलीभांति मालूम था की भारत की उन्नति हिन्दू समाज की कुरीतियों को खत्म  किये बिना नहीं हो सकती. बाबा साहेब ने तत्कालीन प्रधान मंत्री श्री पंडित जवाहर लाल नेहरू को जब हिन्दू कोड बिल का ड्राफ्ट सौंपा तो नेहरू जी ने इस जोखिम को उठाने से मन कर दिया ! Dr. राजेंद्र प्रसाद , सरदार वल्लभ भाई पटेल , श्यामा प्रशाद मुख़र्जी व् अन्य हिंदूवादी नेताओं ने इस बिल का पुरजोर विरोध किया और बिना बिल पास हुए डॉ आंबेडकर ने

भारत विश्व में सबसे धनी देश मंदिरों में जमा सम्पत्ति, और विश्व में शिक्षा जगत में सबसे गरीब व पिछड़ा है

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भारत में  धार्मिक स्थल की  गणना  के अनुसार बीस लाख मंदिर है और तीन लाख मस्जिद हैं  जो सरकारी आँकड़ो में पंजीकृत है अनगिनत गली मोहल्लों में धार्मिक स्थल हैं जिनका आँकड़ा सामने नही आया है ।  भारत में 1.50  लाख केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा संचालित स्कूल ,विशविद्यालय व् कालेज हैं ।आम भारतीय नागरिक को अपने ज्ञान वर्धन करने में आसानी हो जाएगी की भारत कैसे विश्व गुरु बनेगा ?   भारत विश्व में मंदिरों की संपत्ति मामले में  सबसे धनी देश है इसके विपरीत शिक्षा  जगत में सबसे गरीब व पिछड़ा राष्ट्र है  भारत की शिक्षा का वार्षिक बजट लगभग  एक लाख करोड़ है । भारत सरकार यूजीसी के माध्यम से 48 केंद्रीय  विश्वविद्यालय चलाती है 2017  के आँकड़ो के अनुसार 789 राज्य सरकारों द्वारा विश्वविध्यालय व 37204 कालेज हैं ।  निम्नलिखित कुछ सबसे धनी मंदिरों की सूची इस प्रकार है Top 10 Richest Temple in India 1. Padmanabhaswamy Temple Thiruvananthapuram Kerla  ये विष्णु मंदिर केरल की राजधानी में स्थित है भारत का सबसे धनी मंदिर है इसकी  कुल सम्पत्ति रूपे  300 लाख करोड़ है जो मुकेश अम्बानी की सम्पत्ति

लगातार क्यों आ रहे है सुप्रीम कोर्ट के माध्यम से द लित विरोधी फैसले- अधिवक्ता रजत कलसन

जरूर पढ़े व शेयर करे सुप्रीम कोर्ट भारत की सर्वोच्च न्यायिक संस्था है तथा भारतीय संविधान के अध्याय 4 व 5 के तहत इसे भारत में स्थापित किया गया है सुप्रीम कोर्ट को  'यूनियन ऑफ इंडिया" में सर्वाधिक शक्तियां प्राप्त हैं। जो अधिकार सुप्रीम कोर्ट को भारत संघ में हासिल हैं, वही अधिकार भारत के अलग-अलग राज्यों की हाईकोर्टस को भी अपने अपने राज्यों के संदर्भ में हासिल हैं। सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति भारत का राष्ट्रपति, भारत के मुख्य न्यायाधीश की सलाह से करता है। इसी तरह अलग-अलग राज्यों के हाईकोर्ट के न्यायाधीशों की नियुक्ति भी वहां के मुख्य न्यायाधीश तथा राज्यपाल की सलाह पर भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।  आपको यह बता दें  सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के जजों की कुर्सी इतनी ताकतवर होती है कि उन्हें आसानी से हटाया नहीं जा सकता उन्हें हटाने के लिए  संसद में उसके खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव लाना पड़ता है तथा  महाभियोग का प्रस्ताव दोनों सदनों में पास होने के बाद तब जाकर राष्ट्रपति द्वारा उसे पदच्युत किया जाता है यह एक बहुत ही मुश्किल प्रक्रिया है। सुप्रीम कोर्ट के बार