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बुराई करने वालों से ना डरे अपना काम करते रहें- संत पलटु दास जी

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Sant Paltu das ji  मान्यवर साहब कहां करते थे कि आपकी बुराई करने वाला भी होना चाहिए । अगर कोई आपकी बहुत ज्यादा बुराई कर रहा है तो इसका मतलब आप सही काम कर रहे हैं ।इसलिए बुराई करने वाले से ना डरे और अपना काम करते रहे। निंदक जीवै जुगन-जुग , काम हमारा होए । काम हमारा होय,  बिना कौड़ी का चाकर।। कमर बांध कर फिरे, करै तिहुं लोक उजागर । उसे हमारी सोच , पलक भर नहीं बिसारी।।  लगा रहे दिन रात , प्रेम से देता गारी । संत कहे ,दृढ करे , जगत का भरम छुड़ावै।। निंदक गुरु हमार, नाम से वही मिलावे । सुनि कै निंदक मर गया,  पलटू दिया है रोए । निंदक जिवै जुगनू जुग, काम हमारा होय।।  इस बाणी में सतगुरु पलटू दास जी फरमाते हैं कि हमारी बुराई करने वाला होना चाहिए क्योंकि वह बुराई कर रहा है तो मान लो हम कुछ अच्छा काम कर रहे हैं अतः हमारी बुराई करने वाला युगों युगों तक जीवित रहे क्योंकि वह हमारा काम करता है । वह हमारा बगैर पैसे का नौकर होता है । निंदक हमारी बुराई करने के लिए कमर कस लेता है और हमें तीनों लोकों में प्रसिद्ध कर देता है । उसका ध्यान हर वक्त हम पर होता है । वह हमें एक पल के लिए भी नहीं भूलता है बेचारा नि

2022 का चुनाव लोकतन्त्र की जीत या तानाशाह ? आखिरी मौका

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dictatorship जब जब भारत देश में ग़रीबी भुखमरी  और शोषण होता है कोई ना कोई महापुरुष बन कर व्यवस्था परिवर्तन की जंग में कूद पड़ता है ! ऐसे बहुत से महारथी और योद्धा हैं जिन्होंने  हमेशा अखंड भारत के मिशन को ज़िंदा रखा है लेकिन अब लड़ाई निर्णायक दौर में पंहुच गई है । घर पर नही युद्ध क्षेत्र में लड़ना सैनिक की असली परीक्षा है निर्णायक इसलिए भी है अगर 2022 मे विरोधियों के रथ को नही रोका तो 2024 के चुनाव के बाद वोट के अधिकार को ख़त्म कर दिया जाएगा ! ये अधिकार ख़त्म होते ही सभी निसहाय हो जाएँगे और आरएसएस के मनुवादी लोग युद्ध जीत जाएँगे ,जिनका समानता में विश्वास नही है । इस बात को पाठकों,नागरिकों और मतदाताओं को गहराई से विचार करने का समय आ गया है  । “ना रहेगा बाँस ना बजेगी बांसुरी “ ये वक्त रूठों का मनाने का और सोये हुओं का जगाने का है ! अब कोई, ज्योति राव फूले जी, दीनबंधु छोटू राम जी ,बाबा साहेब dr अम्बेडकर जी, सरदार पटेल जी, ललई सिंह यादव चौधरी देवी लाल जी  मान्यवर कांशीराम जी नही आएँगे । आप उन महारथियों की संतान है जिन्होंने युद्ध जीतें हैं जश्न मनाए है फिर आप कैसे मायूश हो सकते हैं ? उठ लड़

धर्म निरपेक्ष राज्य में ही पिछड़े हिंदुओं का विकास संभव

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भारत मे 1925 में स्थापित आरएसएस (राष्ट्रीय संवयम सेवक संघ) और विश्व हिंदू -परिषद एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है ।जिसका विश्व के बहुत देशों में कारोबार फैला है इसके तीन मुख्य उद्देश्य हैं 1)  सभी हिंदुओं को चाहे वो किसी भी सम्प्रदाय के हों संगठित करना 2) वर्तमान हिंदू समाज में प्रतिष्ठित भ्रष्टाचार तथा बुराइयों को खतम करना 3)  समाज के दलित पिछड़े आदिवासी वर्गों की सेवा करना निहसंदेह उपरोक्त सभी उद्देश्य बहुत प्रशंसनीय हैं- बहुत ऊँचे हैं सबको इनका सम्मान व स्वागत करना चाहिये । यँहा पर सिक्ख ,ईसाई कथोलिक और प्रोटेस्टंट ,मुस्लिम शिया और सुन्नी , जैन विशेषकर तीर्थंकर महावीर के अनुयायी ,यहूदी,पारसी,बौद्ध जिनकी संख्या बहुत कम है सैंकड़ों अलग अलग पंथ,उन पंथो की शाखाएँ-उपशाखाए और उनकी हज़ारों परम्पराएँ  हैं, साथ साथ रह्ते हैं । इन सभी धर्मों का यँहा अस्तित्व है ।  यह ठीक है कभी कभी आपस में लड़ाई झगड़े हो जाते हैं मगर शांति से रहने का उपाय निकाल ही लेते हैं । यह इसलिए सम्भव है की भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है । धर्म निरपेक्ष राष्ट्र वह है जंहा कोई भी एक विशिष्ट धर्म शासन द्वारा अनुगृहीत

मोहम्मद अली जिन्ना के पूर्वज हिन्दू थे

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मोहम्मद अली जिन्ना -पाकिस्तान के संस्थापक प्रेमजी भाई मेघजी भाई ठक्कर( मोहम्मद अली जिन्ना के दादा)  हिंदू वैष्णव लोहाना बनिया परिवार गाँव मोती पनेलि जिला राजकोट गुजरात के निवासी थे । परिवार सुद्ध शाकाहारी और आर्थिक सम्पन व्यापारिक घराना था ।प्रेमजी भाई मेघजी भाई ठक्कर ने अन्य व्यपार के साथ साथ मछली  का व्यापार भी  सुरु किया !  हिंदू धर्म के तत्कालीन कट्टर मानसिकता के  लोगों ने उनका ज़बरदस्त विरोध किया । प्रेमजी भाई मेघजी भाई ठक्कर के परिवार का धार्मिक  बहिष्कार किया गया ! बार -बार सामजिक पंचायत में  घर वापसी का अनुरोध करने के बाद  कट्टर हिंदु मानसिकता के लोगों ने उनको शामिल करने का विरोध किया । बड़े बेटे (1857-1902) पूंजा भाई ठक्कर(जिन्नो)  (मोहम्मद अली जिन्ना के पिताजी  ) इस निरादर को सहन ना कर सके और मुसलमान शिया में धर्मांतरित हो गये ।  मोहम्मद अली जिन्ना का  विवाह मीठीबाई से हुआ और फिर ये परिवार कराची (ब्रिटिश भारत)  में जाकर बस गया  । इनसे सात संतान पैदा हुए जिनमे ज्येष्ठ मोहम्मद अली जिन्ना (father of Pakistan) व इनकी बहन फ़ातिमा जिन्ना जो mother of Pakistan बनी । मोहम्म

मूलनिवासी अधिकारों से वंचित बेसहारा बेचारा- आचार्य धर्मवीर सौरान

मैं मूलनिवासी, पर बेगाना, गिरवी देश हमारा है। सारे जहां से अच्छा, फिर भी, भारत देश हमारा है।। अर्थात:- मैं मूलनिवासी हूँ पर अपने हि देश मे सौतेला व्यवहार झेल रहा हूँ क्योंकि कुच्छ गद्दारो ने मेरे देश को मनुवादियों के यहाँ गिरवी रख दिया हैं। में अपने देश को आज़ाद करवाना चाहता हूँ भीख मांगने में हम आगे, शर्म हमे नही आती है। हम ग़ुलामी के मतवाले, हमे आज़ादी नही सुहाती है। अपनों से अच्छे गैर लगे, गैरों की फिक्र सताती हैं। अपनो से दगा, ग़ैरों से वफ़ा, ग़ैरों की प्रीत सुहाती है। सुअर कुत्ते सी जिंदगी, सब कुछ हमे गवारा हैं। सारे जहां से अच्छा-----------/ अधिकारों के खातिर लड़ना, बाबा ने हमे सिखाया था। शिक्षित हो, संघर्ष करो, संगठित रहना हमे सिखया था। कर्म सही हो, धर्म सही हो, ये मुक्ति मरहम बताया था। राज बिना नही काज सवरते, ऐसा भेद बताया था। मक्कारों ने आगे जाना, कहा कि बाबा गलत इसारा है। सारे जहां से अच्छा--------- जो भी होगा, वाज़िब होगा, ऐसा ज्ञान सिखाते हैं। कर्म करो और फल मत मांगो, बंधुआ मजदूर बनाते हैं। दुनिया पहुची मंगल चँदा पर, हम अर्श फर्श की गाते हैं। पढ़े लिख

बाबा शाहेब की पिछड़े वर्ग में स्वीकार्यता बढ़ रही है —चंद्रभूषण यादव

चन्द्रभूषण सिंह यादव सर की वाल से... ज्यों ही पिछड़े वर्गों में बाबा साहब की स्वीकार्यता चरम पर पँहुची त्योंही यह नारा चरितार्थ हो जाएगा कि  "बाबा तेरा मिशन अधूरा,हमसब मिलकर करेंगे पूरा".... ##############################       बाबा साहब डॉ भीम राव अम्बेडकर ने लखनऊ में पिछड़ा वर्ग सम्मेलन में बड़ी पीड़ा के साथ 1950 के दशक में देश का कानून मंत्री रहते हुये कहा था कि "जिस दिन इस देश का पिछड़ा-दलित एकजुट हो गया उस दिन इस देश का अभिजात्य वर्ग मसलन पंडित गोविंद बल्लभ पंत (तत्कालीन यूपी के मुख्यमंत्री) जैसे लोग इनके जूते की फीतियाँ बांधने में गर्वानुभूति करेंगे।"बाबा साहब को पीड़ा थी कि अभिजात्य तो अभिजात्य,पिछड़ा वर्ग भी उनसे दूरी बनाकर रहता है जबकि वे चाहते थे कि पिछड़े उनकी मुहिम में शामिल हो और अपने हक की लड़ाई को अंजाम तक पँहुचाएँ।       एक लंबे काल-खंड के बाद आज 14 अप्रैल 2020 को जब अल सुबह मैंने अपना फेसबुक खोला तो यह देखकर दंग रह गया,मेरी आँखें फटी की फटी रह गईं और कलेजे को अजीब तरह का सकून व ठंडक मिला कि बहुत बड़े पैमाने पर पिछड़े वर्गों के लोग अम्बेडकर जयं