संदेश

जनवरी, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

गरीबों के मसीहा,जननायक कर्पूरी ठाकुर जी का जीवन परिचय

चित्र
  गरीबों के मसीहा,जननायक कर्पूरी ठाकुर की जयंती पर कोटि कोटि नमन*          *((24 जनवरी 1924))*   *•✓जननायक कर्पूरी ठाकुर का जन्म*  जननायक कर्पूरी ठाकुर का जन्म 24 जनवरी 1924 को समस्तीपुर जिला के  पितौंझिया गांव में हुआ उनकी माता ‘राम दुलारी देवी’ और उनके पिताजी का नाम “गोकुल ठाकुर” था और उनकी पत्नी का नाम ‘फुलेशरी देवी’ था ठाकुर जी के बाल्यावस्था अन्य गरीब परिवार के बच्चों की तरह खेलकूद तथा गाय, भैंस और पशुओं के चराने में बीता उन्हें दौड़ने, तैरने, गीत गाने तथा डफली बजाने का शौक था | कर्पूरी ठाकुर का जीवन परिचय |  *•✓कर्पूरी ठाकुर की शिक्षा*  6 वर्ष की आयु में इनका गांव  की ही पाठशाला में दाखिला कराया गया कर्पूरी ठाकुर के अंदर बचपन से ही नेतृत्व क्षमता ने जन्म लेना शुरू कर दिया था छात्र जीवन के दौरान युवाओं के बीच लोकप्रियता हासिल कर चुके कर्पूरी ठाकुर ने अंग्रेजो के खिलाफ मोर्चा खोल दिया इसके बाद उन्होंने 1940 में मैट्रिक द्वितीय श्रेणी से पास किया और दरभंगा के चंद्रधारी मिथिला महाविद्यालय में आई.ए. में नामांकन करा लिया करपुरी ठाकुर अपने घर से कॉलेज रोज 50 -60 किलोमीटर तक यात्रा करते

बहुजनो के हार के अनेकों कारण है

चित्र
  बहुजनो के हार के अनेकों कारण है। जिसमे अंधभक्ति सबसे ज्यादा है। भारत मे लोग नागरिक कम है,आदमी ज्यादा है। अब सवाल ये है कि ये "आदमी " का क्या मतलब है ? तो इसका मतलब ये है:- मोदी के आदमी, बीजेपी के आदमी, आप के आदमी, मेश्राम जी के आदमी बसपा के आदमी, दरोगा जी के आदमी सांसद जी के आदमी मायावती जी के आदमी कांग्रेस के आदमी आशाराम के आदमी राम रहीम के आदमी इत्यादि। जिस दिन हम एक नागरिक के तौर पर अपने व पराये नेताओ का समीक्षा करेंगे,उस दिन शायद हम सत्य दिखाई देगा। रतन लाल जी ने जो भी मेश्राम जी के बारे मे बोला 100% सही बोला। कारण :- -मेश्राम जी ने खुद बोला है कि जब कांशीराम जी ने मायावती को आगे बढ़ाना शुरू किया तो हम लोग पीछे हटे। अर्थात इनको आगे बढ़ाते तो ये लोग नही हटते। -जिस बामसेफ को कांशीराम जी ने रजिस्टर्ड नही कराया,उनको इन लोगो ने रेजिस्ट्रेड करवाया। -मेश्राम जी का कहना है कि कांशीराम जी ने पार्टी बनाई,इसलिए वे लोग हटे। फिर सवाल ये है की फिर बामसेफ किस लिए बनी ? -ब्राह्मण देशी है कि विदेशी है इस पर बाबासाहेब ने कभी अपना पसीना नही बहाया। जब संविधान सभी को नागरिकता देता है तो फिर व

खर्चे हेतु एक संस्था बनाते है

चित्र
  चल यार मिशन चलाते है,*  *खर्चे हेतु एक संस्था बनाते है*...!!! *दो चार चेलो को पाले*,  *उनसे नारे लगवाते है*....!!!  *चल यार मिशन चलाते है*........ *चार मैं जोडू और चार तू जोड़,*  *अपनी संख्या बढ़ायेंगे*...!!! *मैं अध्यक्ष तू महामन्त्री,*  *ये सबको बतलायेंगे*,....!!! *चन्दा बटोर कम्पनी बन*, *आधा-आधा माल खाते है*...!!! *चल यार मिशन चलाते है.*... *विधायक जी के पास चले*, *कुछ चन्दा हिस्से आयेगा*...!!! *100-100 अगर मांगे हमने,*  *50 तो जरूर मिल जायेगा...!!!* *वरना सुन 10 हजार का ,*  *एक मुख्य अतिथि बनाते है...!!!* *चल यार मिशन चलाते है....* *जितना लम्बा भाषन होगा,* *उतना घर में राशन होगा...!!!* *इस मिशन की आड़ में,*  *फिर तो अपना शासन होगा...!!!* *हम है कट्टर देशभक्त*, *दुनिया को बतलाते है...!!!* *चल यार मिशन चलाते है....* *अरे एक काम करो अब,* *एक कार्यक्रम रखवायेंगे...!!!* *मंच, माला के संग माइक,* *स्वागत अपना करवाएंगे....!!!* *एक दो गायक, कवि,* *शायर को भी बुलवाते है....!!!* *चल यार मिशन चलाते है....* *अपनी संस्था सबसे ऊँची,*  *गला फाड़-2 बतलायेंगे...!!!* *इस मिशन को गड्ढे भीतर,*  *निम्न द्