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अप्रैल, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

वाल्मीकियो जागो कलम ✍️ पकड़ो

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भारत में सफ़ाई करने वाले  विशेष जाति भंगी, मेहतर , वाल्मीकि के लोग होते हैं  । मगर क्यों होते हैं आज इसका शोध करना ज़रूरी है ? आदिकाल में सेना में रहकर देश को बाहरी ख़तरों से रोकते थे ,सीमाओं को सुरक्षित रखते थे ,उनको एक षड्यंत्र के तहत ग़ुलाम व घिनोना काम करने के लिए विवश किया  । भारत आज इसलिए गंदगी से भरा हुआ है क्योंकि 135  करोड़ लोगों का गंद एक जाति के लोग कैसे साफ़ कर सकते हैं ?  भारत में जातिगत भेदभाव व ऊँच नीच की भावना कुट  कुट कर भरी हुई है की सफ़ाई एक जाति का ही काम है अब एक घटिया रोज़गार का ज़रिया बना हुआ है । पीठ  पीछे सामान्य लोगों की मानसिकता दिखाई पड़ती है जब कोई सफ़ाईकर्मी आता है कुछ ज़्यादा नही बोलते क्योंकि उनको डर है अन्यथा वो गटर की दुर्गंध सूंघते रहेंगे । जाने के बाद अपमान करने और औक़ात दिखाने में कमी नही छोड़ते ।इस अमानवीय काम का त्याग ही समाज को गतिशील कर सकता है कुछ कारण व निवारण बाबा शाहेब के मिशन व भारत को एक महान राष्ट्र बनाने में उपयोगी होंगे । शारीरिक ताकतवर लोगों का इतना अपमान क्यों कब और कैसे हुआ और इससे उभरने के कुछ तरीक़ों पर चिंतन ही इस लेख का मुख्

मंदिर में दान करने से पहले अपने समाज को देख ले,शायद आपके दान की ज़रूरत आपके समाज को हो सकती हैं

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दुनिया  जो इतनी खूबसूरत है इसके पीछे महान लोगों की सोच है इसको सुंदर बनाने में बहुत वज्ञानिको ने अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया । अकर्मण्यकारी लोगों ने  दुनिया दुखी है इसके कारण व निवारण खोजे बिना दुःख को धर्म से जोड़कर उसका  धंधा निर्माण करके शोषण करने के मार्ग प्रशस्त किये । आज भारत धार्मिक अंधविश्वास से धन उत्पादन करने में विश्व का पहला शक्तिशाली देश है । ग़रीबी को सीधे भगवान की अवहेलना और अज्ञानता का फ़ायदा उठाकर धार्मिक अर्थव्यवस्था को मज़बूत किया गया इसमें राजनीतिक लोगों ने भरपूर इन धार्मिक वयपारियों का  साथ दिया । धार्मिक धंधे की शुरुआत  में पहले भावनाओं को पैदा करके  फिर उनको भड़काने की विधि और उत्पादन की मार्केटिंग किसी अदृश्य शक्ति के होने की गारंटी देकर , ग़रीबी को कुछ ही समय में ख़त्म करने के लालच के साथ लोगों के सामने बेचने को भेजा जाता है । धन दौलत अर्जित करने के तरीक़े अपनी धार्मिक प्रयोगशाला में तैयार किये जाते है । ग़रीबी उन्मूलन के इस फ़ोर्मूले में भारत की भोली भाली जनता फँसती चली गई और भारत कुछ ही समय में विश्व में धर्म से अर्जित करने वाला महान धार्मिक आर्थिक महा

हिन्दू कोड बिल क्या था ?

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hindu code bill draft हिन्दू समाज की जनसँख्या भारत में 80 % है यह समाज जातियों और उपजातियों में बंटा  हुआ, हर जाति, उपजाति के अपने सामजिक नियम  व नियमों  की जटिलता में झकड़ा हुआ था ! असभ्य ,धार्मिक कर्मकांडो में फँसा हुआ मानव समाज का एक बहुत बड़ा हिस्सा, समाज में ऊँच  नीच की वजह से भारत बहुत बार ग़ुलाम हुआ । इस बुराई का स्थाई समाधान करने के लिये हिंदू कोड बिल का प्रतिपादन हुआ । बाबा साहेब Dr. भीम राव आंबेडकर आज़ाद भारत के प्रथम  केंद्रीय  कानून मंत्री ने भारत के बहुसंख्यक हिन्दू समाज को एक सभ्य व् शिक्षित समाज बनाने के लिए हिन्दू कोड बिल ड्राफ्ट को तैयार किया ! आंबेडकर जी को ये भलीभांति मालूम था की भारत की उन्नति हिन्दू समाज की कुरीतियों को खत्म  किये बिना नहीं हो सकती. बाबा साहेब ने तत्कालीन प्रधान मंत्री श्री पंडित जवाहर लाल नेहरू को जब हिन्दू कोड बिल का ड्राफ्ट सौंपा तो नेहरू जी ने इस जोखिम को उठाने से मन कर दिया ! Dr. राजेंद्र प्रसाद , सरदार वल्लभ भाई पटेल , श्यामा प्रशाद मुख़र्जी व् अन्य हिंदूवादी नेताओं ने इस बिल का पुरजोर विरोध किया और बिना बिल पास हुए डॉ आंबेडकर ने

भारत विश्व में सबसे धनी देश मंदिरों में जमा सम्पत्ति, और विश्व में शिक्षा जगत में सबसे गरीब व पिछड़ा है

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भारत में  धार्मिक स्थल की  गणना  के अनुसार बीस लाख मंदिर है और तीन लाख मस्जिद हैं  जो सरकारी आँकड़ो में पंजीकृत है अनगिनत गली मोहल्लों में धार्मिक स्थल हैं जिनका आँकड़ा सामने नही आया है ।  भारत में 1.50  लाख केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा संचालित स्कूल ,विशविद्यालय व् कालेज हैं ।आम भारतीय नागरिक को अपने ज्ञान वर्धन करने में आसानी हो जाएगी की भारत कैसे विश्व गुरु बनेगा ?   भारत विश्व में मंदिरों की संपत्ति मामले में  सबसे धनी देश है इसके विपरीत शिक्षा  जगत में सबसे गरीब व पिछड़ा राष्ट्र है  भारत की शिक्षा का वार्षिक बजट लगभग  एक लाख करोड़ है । भारत सरकार यूजीसी के माध्यम से 48 केंद्रीय  विश्वविद्यालय चलाती है 2017  के आँकड़ो के अनुसार 789 राज्य सरकारों द्वारा विश्वविध्यालय व 37204 कालेज हैं ।  निम्नलिखित कुछ सबसे धनी मंदिरों की सूची इस प्रकार है Top 10 Richest Temple in India 1. Padmanabhaswamy Temple Thiruvananthapuram Kerla  ये विष्णु मंदिर केरल की राजधानी में स्थित है भारत का सबसे धनी मंदिर है इसकी  कुल सम्पत्ति रूपे  300 लाख करोड़ है जो मुकेश अम्बानी की सम्पत्ति

लगातार क्यों आ रहे है सुप्रीम कोर्ट के माध्यम से द लित विरोधी फैसले- अधिवक्ता रजत कलसन

जरूर पढ़े व शेयर करे सुप्रीम कोर्ट भारत की सर्वोच्च न्यायिक संस्था है तथा भारतीय संविधान के अध्याय 4 व 5 के तहत इसे भारत में स्थापित किया गया है सुप्रीम कोर्ट को  'यूनियन ऑफ इंडिया" में सर्वाधिक शक्तियां प्राप्त हैं। जो अधिकार सुप्रीम कोर्ट को भारत संघ में हासिल हैं, वही अधिकार भारत के अलग-अलग राज्यों की हाईकोर्टस को भी अपने अपने राज्यों के संदर्भ में हासिल हैं। सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति भारत का राष्ट्रपति, भारत के मुख्य न्यायाधीश की सलाह से करता है। इसी तरह अलग-अलग राज्यों के हाईकोर्ट के न्यायाधीशों की नियुक्ति भी वहां के मुख्य न्यायाधीश तथा राज्यपाल की सलाह पर भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।  आपको यह बता दें  सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के जजों की कुर्सी इतनी ताकतवर होती है कि उन्हें आसानी से हटाया नहीं जा सकता उन्हें हटाने के लिए  संसद में उसके खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव लाना पड़ता है तथा  महाभियोग का प्रस्ताव दोनों सदनों में पास होने के बाद तब जाकर राष्ट्रपति द्वारा उसे पदच्युत किया जाता है यह एक बहुत ही मुश्किल प्रक्रिया है। सुप्रीम कोर्ट के बार

सर्वोचय न्यायालय ने भारत सरकार को कहा आरक्षण की समीक्षा अनिवार्य है - एक जवाब

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  70  साल में भी नहीं मिला आरक्षण  का पूर्ण लाभ  ये जो  उपरोक्त टिपण्णी माननीय  सर्वोचय न्यायालय ने की है वो अपने आप में आरक्षण की समीक्षा है ! आरक्षण को सरकारों में बैठे मनुवादी सोच के षड़यंकारी नेताओ व् अधिकारीयों ने सम्पूर्ण  लागु ही नहीं होने दिया ! क़ानूनी कार्यवाही मनुवादी सोच के पक्षपाती लोगों पर होनी चाहिए  इसके विपरीत आरक्षित वर्ग पर ही कार्यवाही करने की और उसकी समीक्षा की जाए ऐसा सर्वोच्चय  न्यायलय के पांच जजों की पीठ ने भारत सरकार को कहा है ! सर्वोच्च न्यायलय ने अनुछेद 341 (1 ) अनुसचित जाति,342 (2 ) अनुसूचित जन जाति एवंम 342 A में मिले अन्य पिछड़ी जातियों को आरक्षण की समीक्षा करने की सरकार को एक गैर जरुरी सलाह दी है ! यह सवाल आंध्र प्रदेश में अनुसूचित जनजाति बाहुलय  गाँव में अनुसूचित जनजाति के ही अध्यापक की नियुक्ति से उपजे विवाद का परिणाम है ! सर्वोच्च न्यायालय का यह कहना है कि जिन जातियों को आरक्षण का फायदा मिला है उनको समीक्षा करके अनुसूची से बाहर करो और जिनको लाभ नहीं मिला उनको अनुसूची में शामिल करो ! पांच जजों की पीठ ने ये भी कहा की अब कुछ आरक्षित वर्ग के

सर्वोचय न्यायालय ने भारत सरकार को कहा आरक्षण की समीक्षा अनिवार्य है

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" Even in 70 years,benefits have not trickled down to all sections" Holding that lists of scheduled castes, scheduled tribes and socially and economically backward classes for providing reservation are not "sacrosanct and unalterable ".the Supreme court said on Wednesday that the beneficiaries should be revised by the government by removing those who have become affluent over the years and adding those who remain needy and require assistance. A five-judge bench of justices Arun Mishra, Indira Banerjee,Vineet Saran, M R Shah and Anirudha Bose said benefits of reservation were being availed by some communities the last 70 years and they have become well-off economically and socially. It said benefits have not trickled down to all sections and there is dissatisfaction within the "reserved"class which can be addressed by revising the list. The court pronounced its verdict striking down an Andhra Pradesh government order that only ST will be appointed te

आधुनिक भारत के निर्माता - डा: बी.आर.अम्बेडकर

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हर भारतीय चाहे वो हिंदू ,मुस्लिम ,सिख ,ईसाई ,बौध ,पारसी ,जैन ,नर ,नारी ,छोटा ,बड़ा  ये जानना ज़रूरी है की बाबा शाहेब का जन्म एक संपन ,सुसंस्कृत परिवार में 14 april 1891  को सूबेदार रामजी राव सकपाल के घर हुआ । आधुनिक भारत के निर्माता का बाल्यकाल जीवन  ख़ुशियों भरा था उनके पिताजी के पास कोई कमी नही थी ।उस  वक्त में ज़्यादातर लोग अनपढ़ होते थे मगर बाबा शाहेब के पिताजी व दादा जी तब भी शिक्षित थे । बाबा शाहेब बहुत ही हस्ट पुष्ट लंबी क़द काठी के थे उनके व्यक्तित्व को देखते ही लोग उनसे प्रभावित हो जाते थे । बाबा साहेब का जब स्कूल में दाख़िला करवाने के लिये उनके पिताजी गए तो क़द काठी व्यक्तित्व से वो पहचान नही पाये की ये अछूत जाति से है । जब स्कूल अध्यापक ने उनकी जाति पूछी तो उनका दाख़िला करने से मना कर दिया । ये बात बालक भीम को मालूम हुई तो उन्होंने व उनके पिताजी ने ये प्रतिज्ञा की सब जातिगत ऊँच नीच की बेड़ियों को तोड़ूँगा और बालक भीम को शिक्षित करके भारत को विकसित समाज, व राष्ट्र बनाउंगा  । बाबा शाहेब का जीवन सम्पूर्ण भारतवासियों को प्रेरणा देता है शिक्षित बनो, संग्रश करो , संगठित रहो ।

Google बाबा पर आओ और लिखो

साथियो कोरोना लोक बंद में  ज़्यादातर लोग YouTube,TV MOVIE, News देख रहें हैं । यह समय है सामाजिक आंदोलन को पीछे मुड़ कर देखने का । सही समय है ,इसका उपयोग करना ज़रूरी है । आज 90%  लोग Google बाबा का उपयोग करते हैं अपना ज्ञान वर्धन करने में । लोग किताब पढ़ने से कतराते हैं क्योंकि हर कोई समय ना होने का बहाना बना देता है ये सच भी लगता है क्योंकि ज़िंदगी बहुत तेज दौड़ रही है । हर कोई इतना व्यस्त है की उसके एक दिन पीछे के अपने काम और आगे वाले दिन की योजना याद नही रहती । जो भी विचार दिमाग़ में आते हैं और हिलोरे मारते हैं आईए उनको Google बाबा को बताएँ और Google में लिखें । आप कुछ भी विचार लिख सकते हैं ।एक फ़्री और आज़ाद सोच का ,आज़ाद platform है । इससे एक फ़ायदा होगा की कोई भी आदमी जब बाबा शाहेब व अन्य महापुरुषों को Google पर check करेगा तो उसको बहुत लिखा हुआ साहित्य मिलेगा । आपने देखा होगा मनुवादी लोग अपने जूठे साहित्य को Google पर डालकर सही साबित कर रहे हैं । Google पर लिखने के बाद उसको Google से ही Facebook,YouTube,printrest,Quora ,WhatsApp आदि website पर डाला जा सकता है । सही समय है te

आरक्षण - एक संक्षिप्त परिचय

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आरक्षण षड्यंत्रकारियों की देन आरक्षण हिंदी भाषा का शब्द है  English में इसको reservation or affirmative action कहते हैं ।आरक्षण का मुख्य उद्देश्य अनुपातिक तौर सरकारी संस्थानो में प्रतिनिधित्व देना है जो लोग सामाजिक ऊँच नीच की अमानवीय व्यवस्था के कारण जीवन के हर क्षेत्र में पिछड़ गये हैं उनको मुख्य धारा में शामिल करना, मानवता को विकसित करने को ही आरक्षण नाम दिया गया । पूर्व में कुछ शातिर षड्यंत्रकारी पूर्वाग्रही लोगों ने अपने फ़ायदे के लिये एक व्यवस्था का निर्माण किया जिसमें मानव को ऊँच नीच में विभाजित कर दिया गया  । उस व्यवस्था में मानव के शरीर का layout तो दिखा मगर उसमें जो इंसानियत, दिमाग़, विचार होने चाहिए वो मूल गुण ग़ायब कर दिया गया ।इसमें सबसे बड़ा घालमेल शिक्षा को कुछ वर्ग अर्थात कुछ लोगों तक सीमित करके पुरी मानवता को अंधकारमय कर दिया । शिक्षा पर प्रतिबंध अशिक्षा के कारण इंसान, इंसान तो दिखा मगर वो अपना दिमाग़ी संतुलन खो बैठा और उन षड्यंत्रकारी लोगों को मानव पर बिल्कुल  लेस मात्र भी करुणा नही आई इसके विपरीत मानव के शोषण करने के रास्ते खोजे गये और उसी पीड़ित शोषित इंसान को

मूलनिवासी अधिकारों से वंचित बेसहारा बेचारा- आचार्य धर्मवीर सौरान

मैं मूलनिवासी, पर बेगाना, गिरवी देश हमारा है। सारे जहां से अच्छा, फिर भी, भारत देश हमारा है।। अर्थात:- मैं मूलनिवासी हूँ पर अपने हि देश मे सौतेला व्यवहार झेल रहा हूँ क्योंकि कुच्छ गद्दारो ने मेरे देश को मनुवादियों के यहाँ गिरवी रख दिया हैं। में अपने देश को आज़ाद करवाना चाहता हूँ भीख मांगने में हम आगे, शर्म हमे नही आती है। हम ग़ुलामी के मतवाले, हमे आज़ादी नही सुहाती है। अपनों से अच्छे गैर लगे, गैरों की फिक्र सताती हैं। अपनो से दगा, ग़ैरों से वफ़ा, ग़ैरों की प्रीत सुहाती है। सुअर कुत्ते सी जिंदगी, सब कुछ हमे गवारा हैं। सारे जहां से अच्छा-----------/ अधिकारों के खातिर लड़ना, बाबा ने हमे सिखाया था। शिक्षित हो, संघर्ष करो, संगठित रहना हमे सिखया था। कर्म सही हो, धर्म सही हो, ये मुक्ति मरहम बताया था। राज बिना नही काज सवरते, ऐसा भेद बताया था। मक्कारों ने आगे जाना, कहा कि बाबा गलत इसारा है। सारे जहां से अच्छा--------- जो भी होगा, वाज़िब होगा, ऐसा ज्ञान सिखाते हैं। कर्म करो और फल मत मांगो, बंधुआ मजदूर बनाते हैं। दुनिया पहुची मंगल चँदा पर, हम अर्श फर्श की गाते हैं। पढ़े लिख

बाबा शाहेब की पिछड़े वर्ग में स्वीकार्यता बढ़ रही है —चंद्रभूषण यादव

चन्द्रभूषण सिंह यादव सर की वाल से... ज्यों ही पिछड़े वर्गों में बाबा साहब की स्वीकार्यता चरम पर पँहुची त्योंही यह नारा चरितार्थ हो जाएगा कि  "बाबा तेरा मिशन अधूरा,हमसब मिलकर करेंगे पूरा".... ##############################       बाबा साहब डॉ भीम राव अम्बेडकर ने लखनऊ में पिछड़ा वर्ग सम्मेलन में बड़ी पीड़ा के साथ 1950 के दशक में देश का कानून मंत्री रहते हुये कहा था कि "जिस दिन इस देश का पिछड़ा-दलित एकजुट हो गया उस दिन इस देश का अभिजात्य वर्ग मसलन पंडित गोविंद बल्लभ पंत (तत्कालीन यूपी के मुख्यमंत्री) जैसे लोग इनके जूते की फीतियाँ बांधने में गर्वानुभूति करेंगे।"बाबा साहब को पीड़ा थी कि अभिजात्य तो अभिजात्य,पिछड़ा वर्ग भी उनसे दूरी बनाकर रहता है जबकि वे चाहते थे कि पिछड़े उनकी मुहिम में शामिल हो और अपने हक की लड़ाई को अंजाम तक पँहुचाएँ।       एक लंबे काल-खंड के बाद आज 14 अप्रैल 2020 को जब अल सुबह मैंने अपना फेसबुक खोला तो यह देखकर दंग रह गया,मेरी आँखें फटी की फटी रह गईं और कलेजे को अजीब तरह का सकून व ठंडक मिला कि बहुत बड़े पैमाने पर पिछड़े वर्गों के लोग अम्बेडकर जयं

कांशीराम -एक चमत्कार

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बहुजन महानायक साहेब श्री  कांशी राम जी का 10-11,अक्टूबर 1998 को मलेशिया की राजधानी, कुआलालंपुर में दिया गया ऐतिहासिक भाषण, जिसे खुद उन्होंने बाबासाहब के उस भाषण से जोड़ा था जो उन्होंने लाहौर, पंजाब में देना था, लेकिन जो बाद में "जाति का विनाश" किताब के रूप में प्रकाशित हुआ।*  सबसे पहले मै आपको जातिविहीन समाज के निर्माण की दिशा में इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन करने के लिए हार्दिक बधाई देना चाहता हुँ I मुझे दुःख है की पार्टी के कार्यो में अति व्यस्तता के कारण मै इस अवसर पर दिए जाने वाले अपने भाषण को लिख नहीं पाया, इसलिए मै सीधे ही आपसे मुखातिब हो रहा हुँ I kansiram  *जाति का विनाश*  सन 1936 में लाहौर के जात-पात तोड़क मंडल ने बाबासाहब अम्बेडकर से जाति विषय पर उनके द्वारा लिखे गए निबंध को मंडल के अधिवेशन में पढ़ने के लिए आमंत्रित किया I लेकिन उस अधिवेशन में बाबासाहब अम्बेडकर को वह निबंध प्रस्तुत नहीं करने दिया गया, वह निबंध बाद में एक पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया गया,  जिसका शीर्षक था, "एनिहिलेशन ऑफ़ कास्ट"(Annihilation of Caste) "अर्थात जाति क