सर्वोचय न्यायालय ने भारत सरकार को कहा आरक्षण की समीक्षा अनिवार्य है - एक जवाब



 70  साल में भी नहीं मिला आरक्षण  का पूर्ण लाभ 

ये जो  उपरोक्त टिपण्णी माननीय  सर्वोचय न्यायालय ने की है वो अपने आप में आरक्षण की समीक्षा है ! आरक्षण को सरकारों में बैठे मनुवादी सोच के षड़यंकारी नेताओ व् अधिकारीयों ने सम्पूर्ण  लागु ही नहीं होने दिया ! क़ानूनी कार्यवाही मनुवादी सोच के पक्षपाती लोगों पर होनी चाहिए  इसके विपरीत आरक्षित वर्ग पर ही कार्यवाही करने की और उसकी समीक्षा की जाए ऐसा सर्वोच्चय  न्यायलय के पांच जजों की पीठ ने भारत सरकार को कहा है !
सर्वोच्च न्यायलय ने अनुछेद 341 (1 ) अनुसचित जाति,342 (2 ) अनुसूचित जन जाति एवंम 342 A में मिले अन्य पिछड़ी जातियों को आरक्षण की समीक्षा करने की सरकार को एक गैर जरुरी सलाह दी है ! यह सवाल आंध्र प्रदेश में अनुसूचित जनजाति बाहुलय  गाँव में अनुसूचित जनजाति के ही अध्यापक की नियुक्ति से उपजे विवाद का परिणाम है !


सर्वोच्च न्यायालय का यह कहना है कि जिन जातियों को आरक्षण का फायदा मिला है उनको समीक्षा करके अनुसूची से बाहर करो और जिनको लाभ नहीं मिला उनको अनुसूची में शामिल करो ! पांच जजों की पीठ ने ये भी कहा की अब कुछ आरक्षित वर्ग के लोगों की  सामजिक व् आर्थिक हैसियत बढ़ गयी है !



मूलनिवासी (SC/ST & OBC) अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति एवंम अन्य पिछड़ी जातियों की समीक्षा के आधार पर भी एक समीक्षा प्रस्तुत है !

1 , इन तीनो आरक्षित वर्गों  के परिवारों पर कितने लोगों के पास जमीन है ?
2  इन तीनो आरक्षित वर्गों के परिवारों में कितने डॉक्टर इंजीनियर वकील जनसँख्या के अनुपात में हैं ?
3  इन तीनो आरक्षित वर्गों के परिवारों के पास फ़ैक्टरी कितनी  है ?
4  इन तीनो वर्ग के पास अनुपातिक तौर पर सरकारी व् निजी क्षेत्र में  कितनी नौकरियां  है ?
5  एक ही परिवार में लगातार डॉक्टर इंजीनियर वकील IAS क्या 3 पीढ़ी से हैं ?
6 इन तीनो वर्गों के कितने मुख्य मंत्री, प्रधानमंत्री ,राष्ट्रपति ,सर्वोच्च न्यालय के जज हैं ?

15 % लोगो के पास जमीन , जायदाद ,डॉक्टर, वकील, इंजीनियर, जज ,IAS, मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री राष्ट्रपति सब है भारत के मंदिरों में लगभग 30 साल  का भारत सरकार के  बजट का धन पड़ा है उसको सरकार के नियंत्रण में लेने की भी समीक्षा आवश्यक है ताकि भारत की गरीबी को ख़त्म करके एक उन्नत राष्ट्र का निर्माण किया जा सके। भारत्त  धार्मिंक  भेदभाव  व् मंदिर धन संग्रह  में दुनिया का  सबसे धनी  देश है  मगऱ भारतीय नगरिक दुनिया में सबसे गरीब है इसकी भी समीक्षा आवशयक है कृपया इसको नजरअंदाज ना करे ! मंदिरों का सारा धन सरकारी संपत्ति घोषित किया जाए ,मेरा विशवास है की एक अमेरिकी डॉलर की कीमत भारतीय एक रुपए के बराबर आ जाएगी ! इस एक कदम से दुनिया में भारत का मान सम्मान बढ़ेगा !

भारत का संविधान न्याय, समानता ,बंधुता पर आधारित एक समाजवादी ,पंथनिरपेक्ष राष्ट्र है ! पहले इन 15 % लोगों  की आर्थिक सामजिक शैक्षणिक समीक्षा भी देश हित  में जरुरी है ! जजों की नियुक्ति , एक लिखित परीक्षा के माधयम से जैसे आईएएस की नियुक्ति होती है ,होनी चाहिये !  यूपीएससी देश की बेहतरीन संस्थाओं में से अग्रणी विभाग है All India Judiciary Services की परीक्षा करवाने में सक्षम है । इस परीक्षा से देश में न्याय, तीव्रता से और सभी को मिलेगा ।भारत को विश्व में न्याय प्रिय होने का गौरव प्राप्त होगा । कुछ ही परिवार भारत की न्याय व्यवस्था को चला रहें हैं । इसलिए भारत में न्याय बहुत  केस में तो पीड़ित के मर जाने पर फ़ैसला आता है ।किसी भी  लोकतांत्रिक देश में भारत जैसी असंवैधानिक नयायिक चयन प्रणाली देखने को नही मिलती ।

समीक्षा भारतीय न्याय प्रणाली ,सरकारी काम काज , शिक्षा ,चिकित्सा ,उत्पीड़न व् महिलाओं की वर्तमान स्थिति की भी  जरुरी है ! समीक्षा  MLAs/MPs मंत्रियों मुख्यमंत्रियों जजों  की आय से अधिक संपत्ति की भी होनी  जरुरी है   !

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टिप्पणियाँ

  1. The contents are absolutely correct. It seems that the judgement is anti constitution. Because the reservation is not a donation, but a provision for representation of deprived classes.

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  2. Reservation is the result ofPoona Pact. Reservation is not a donation. It is their right. The person of sc/st.of a state remains sc/ st in other state also. He will not be a Brahmin or Thakur in the other state. They should be given their due proportionate share as there population in natural resources mines and land of this country. The reservation should continue till the end of castes system of.country.

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