संदेश

Symbol of Knowledge लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

एक ओंकार ,सतनाम

चित्र
सतगुरु नानक देव जी फरमाते हैं  गुरु नानक  एक ओंकार ,सतनाम ,करता पुरख, निर्भय,  निरवैर ,अकाल मूरत ,अजूनी स्वैमं गुरु प्रसाद जप ,आद सत, जुगाद सत, नानक होसि वी सत,सतनाम श्री वाहेगुरु , वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी दि फतेह , राज करणगे खालसा, याकि रहै ना कोय। अर्थात:- एक ओंकार:-         एक स्वयम का स्वरूप सतनाम:-               सच्चा ज्ञान ( बुद्धत्व ) कर्ता पुरुख:            सब करने वाला व्यक्ति निरर्भैय:-                भय रहित ( जो कभी गलत कर्म न करे, वही निर्भय) निर्मोह: -                 विकार रहित ( भय, भाष, तृष्णा ) निरवैर: -                 जिसका  का कोई शत्रु न हो ( जैसे बुद्ध का ) अकाल मूरत:-         जिसकी छवि हर काल मे हो। अजूनी: -                 जो किसी योनि / जाती को न मानता हो। स्वैमं:-                     जो स्वयं हो यानी अतः डिपो भव। गुरु प्रसाद जप:-       गुरु के उपदेशों का पालन। आद सत: -               जो आदिकाल से सत्य है जुगादि सत:-             वो युगों युगों तक भी सत्य रहेगा ( ज्ञान ) होसि वी सत:-            वो आगे भी सत्य रहेगा।

बहन कुमारी मायावती सामाजिक परिवर्तन की आदर्श मिसाल

चित्र
 #मायावती_जी के जीवन संघर्ष पर जवाहर लाल नेहरू(JNU) विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र विभाग के प्रमुख #प्रो.#विवेक_कुमार ने अपने एक लेख में लिखा था, यह विडंबना है कि लोग आज मायावती के गहने देखते हैं, उनका लंबा संघर्ष और एक-एक कार्यकर्ता तक जाने की मेहनत नहीं देखते. वे यह जानना ही नहीं चाहते कि संगठन खड़ा करने के लिए मायावती कितना पैदल चलीं, कितने दिन-रात उन्होंने दलित बस्तियों में काटे. मीडिया और कुछ मायावती विरोधी लोग इस तथ्य से आंखें मूंदे है. सजातिय और मजहब की बेड़ियां तोड़ते हुए मायावती ने अपनी पकड़ समाज के हर वर्ग में बनाई है. वह उत्तर प्रदेश की पहली ऐसी नेता हैं, जिन्होंने नौकरशाहों को बताया कि वे मालिक नहीं, जनसेवक हैं । सर्वजन का नारा देकर उन्होंने बहुजन के मन में अपना पहला दलित प्रधानमंत्री देखने की इच्छा बढ़ा दी है. दलित आंदोलन और समाज अब मायावती में अपना चेहरा देख रहा है. भारतीय लोकतंत्र को समाज की सबसे पिछली कतार से निकली एक सामान्य महिला की उपलब्धियों पर गर्व होना चाहिए.’ आगामी चुनाव में हम BSP को ही क्यों चुनें ? इसके लिए हजार कारण हो सकते है उसमें से कुछ नीचे दिए गए है  बीएसपी क

संत शिरोमणि गुरू रविदास जी महाराज - एक क्रांतिकारी भिक्षु

चित्र
guru ravidas bani  1. वैखरी 2 . मध्यमा 3. पशयन्ति 4. परा संतो  की चार प्रकार की बाणी होती है। परा, पश्यन्ती ,मघ्यमा और वैखरी। वैखरी बाणी जिनमें आम बातें बताई जाती है उन्हें आप चेतावनी भी कह सकते हैं ।इसमे शब्द न होकर अक्षर होते हैं।और जब शब्द ,अक्षर में बदलते है तो इन्द्रियों का प्रसार बढ़ जाता है। इसकी अवस्था जाग्रत होती है मगर ज्ञान बगैर यह बाणी और अवस्था दोनो भरम में रहती हैं। मध्यमा बानी के शब्द कंठ तक होते है अवस्था स्वपन सी होती हैं। मिथ्या स्वपन आते हैं। दुख और दुख को ज्यादा मानने  व करुणा प्रज्ञा न होने से भरम स्थिति होने की वजह ज्ञान रहित बाणी है। पश्यंती बाणी में शब्द ह्रदय तक पहुचते है और इसकी अवस्था सुखोपति होती है। मनुष्य गलत, ठीक का आंकलन कर सकता है। वह शीलवान और चेतन मानव हो जाता है मगर पूर्ण मुक्त नही हो सकता। परा की बाणी शब्द ही रहतीं हैं अक्षर नही बनती तथा नाद प्रकट करती है। भरम और तृष्णा को खत्म करती है। इसमें चेतन चिंतन की अवस्था होती है जिसे तुरिया कहते हैं  पर हमें आने के बाद तुरिया अवस्था में जिव से हंस हो जाता है विवेकशील होकर के पारख बन जात

अभिवयक्ति महापुरुषों का सम्मान

चित्र
धर्म  हजार हो सकते हैं,  धम प्राकर्तिक  एक ही होता है ! धर्म बीमारी है प्रकर्ति स्वास्थ्य है ! धम/प्रकर्ति  तो एक ही होता है जैसे  सूर्य सबको ताप देता है प्रकृति सबको एक समान आक्सीजन हवा पानी पेड़ पौधे सब कुछ देती है धम ही अच्छा जीवन जीने का मार्ग मानव जगत के महान वैज्ञानिकों महापुरुषों ने मानवता को खोज करके दिया  है !  धर्म  कुछ षड्यंत्रकारी इंसानो  द्वारा निर्मित एक चाबुक है जो कमजोर वंचित असहाय अनपढ़  लोगों पर लगातार प्रहार करता रहता है  आश्चर्य की बात है कि साधारण धार्मिक आदमी हिन्दू मुसलमान होता है , सो ठीक, सन्यासी भी हिन्दू मुसलमान ईसाई और जैन होता है ! कम से कम सन्यासी तो सिर्फ मार्गदाता हो ! वह भी संभव नहीं हो पाया है ! धम पैदा हुआ, कुछ थोड़े से व्यक्तियों के जीवन में उसकी अनुभूति गहरी थी ! लेकिन आम जन के जीवन में वह तब तक नहीं पंहुच सकता था जब तक कि विज्ञानं ठीक भूमि साफ़ ना कर दे ! अब विज्ञानं ने भूमि ठीक से साफ़ कर दी है ! और अब धम  अवैज्ञानिक ढंग से स्वीकृत नहीं हो सकता इसलिए बड़ी कठिनाई पैदा हो रही है ! जो लोग अंधविश्वासों को पकडे हुए हैं, वे सोचते

*_💁‍♂️ बाबा साहब डॉ आंबेडकर द्वारा दी गई 22प्रतिज्ञाएं /आज्ञाएं,_* *_निम्न प्रकार हैं⤵️_*

चित्र
*_💁‍♂️ बाबा साहब डॉ आंबेडकर द्वारा दी गई 22प्रतिज्ञाएं /आज्ञाएं,_* *_निम्न प्रकार हैं⤵️_* _☸️1-मैं ब्रह्मा, विष्णु और महेश में कोई विश्वास नहीं करूँगा/करूंगी और न ही मैं उनकी पूजा करूँगा/करूंगी।_ _☸️2-मैं राम और कृष्ण, जो भगवान के अवतार माने जाते हैं, में कोई आस्था नहीं रखूँगा/रखूंगी और न ही मैं उनकी पूजा करूँगा/करूंगी।_ _☸️3-मैं गौरी, गणपति और हिन्दुओं के अन्य देवी-देवताओं में आस्था नहीं रखूँगा /रखूंगी, और न ही मैं उनकी पूजा करूँगा/करूंगी।_ _☸️4-मैं भगवान के अवतार में विश्वास नहीं करता हूँ/करती हूं।_ _☸️5-मैं यह नहीं मानता/मानती और न कभी मानूंगा/मानूंगी कि भगवान बुद्ध विष्णु के अवतार थे. मैं इसे पागलपन और झूठा प्रचार-प्रसार मानता/मानती हूँ।_ _☸️6-मैं श्रद्धा (श्राद्ध) में भाग नहीं लूँगा/लूंगी, और न ही पिंड-दान दूँगा/दूंगी।_ _☸️7-मैं बुद्ध के सिद्धांतों और उपदेशों का उल्लंघन करने वाले तरीके से कार्य नहीं करूँगा/करूंगी।_ _☸️8-मैं ब्राह्मणों द्वारा निष्पादित होने वाले किसी भी समारोह को स्वीकार नहीं करूँगा/करूंगी।_ _☸️9--मैं मनुष्य की समानता में विश्वास करता/करती

पूना पैक्ट - ज़्यादा सीट ,कम अधिकार, बिना ताक़त के साथ

चित्र
round table conference  गोलमेज सम्मलेन  1930 में पहला गोल मेज सम्मलेन हुआ जिसमे भारत के राजाओं , विशिष्ट हस्तियों ,कांग्रेस व् महात्मा गाँधी को भी आमंत्रित किया था मगर गाँधी व् कांग्रेस ने इस सम्मलेन का बहिष्कार किया जिसमे महात्मा गाँधी ने भाग नहीं लिया  ! बाबा साहेब ने दलितों का व् सम्पूर्ण राष्ट्र्र का प्रतिनिधित्व किया !डॉ बी॰ आर॰अम्बेडकर ने  माँग रखी की अछूतों की हालत बहुत ही दयनीय और मानवीय अधिकारों से वंचित है ! हिन्दू  समाज ने कभी इनको मानवीय अधिकार नही दिए ।उनको गाँव से बाहर रखा , पीने के लिए पानी, खाने के लिए रोटी नही ,मजबूरन झूठन व् मरे  हुए जनावरों का मांस खाकर गुज़ारा करते हैं । उनको बसों रेलगाड़ियों व  सार्वजनिक गाड़ियों में यात्रा करने की मनाही हैं और हिन्दू लोगों के डर से अपनी आवाज़ भी नही उठा सकते । ब्रिटिश भारतीय सरकार ने भी उन अभागे अछुत्तों के लिए कुछ नहीं किया , मैं उन अछूतों का प्रतिनिधित्व करता हुँ ! बाबा साहेब ने दोहराया की हमें आज़ादी चाहिए ,हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं  सम्पूर्ण आज़ादी का पक्षधर हूँ आप भारत छोड़े ! बाबा साहेब के भाषण को  यूरोप के अख

आधुनिक भारत के निर्माता - डा: बी.आर.अम्बेडकर

चित्र
हर भारतीय चाहे वो हिंदू ,मुस्लिम ,सिख ,ईसाई ,बौध ,पारसी ,जैन ,नर ,नारी ,छोटा ,बड़ा  ये जानना ज़रूरी है की बाबा शाहेब का जन्म एक संपन ,सुसंस्कृत परिवार में 14 april 1891  को सूबेदार रामजी राव सकपाल के घर हुआ । आधुनिक भारत के निर्माता का बाल्यकाल जीवन  ख़ुशियों भरा था उनके पिताजी के पास कोई कमी नही थी ।उस  वक्त में ज़्यादातर लोग अनपढ़ होते थे मगर बाबा शाहेब के पिताजी व दादा जी तब भी शिक्षित थे । बाबा शाहेब बहुत ही हस्ट पुष्ट लंबी क़द काठी के थे उनके व्यक्तित्व को देखते ही लोग उनसे प्रभावित हो जाते थे । बाबा साहेब का जब स्कूल में दाख़िला करवाने के लिये उनके पिताजी गए तो क़द काठी व्यक्तित्व से वो पहचान नही पाये की ये अछूत जाति से है । जब स्कूल अध्यापक ने उनकी जाति पूछी तो उनका दाख़िला करने से मना कर दिया । ये बात बालक भीम को मालूम हुई तो उन्होंने व उनके पिताजी ने ये प्रतिज्ञा की सब जातिगत ऊँच नीच की बेड़ियों को तोड़ूँगा और बालक भीम को शिक्षित करके भारत को विकसित समाज, व राष्ट्र बनाउंगा  । बाबा शाहेब का जीवन सम्पूर्ण भारतवासियों को प्रेरणा देता है शिक्षित बनो, संग्रश करो , संगठित रहो ।