आरक्षण - एक संक्षिप्त परिचय


आरक्षण षड्यंत्रकारियों की देन

आरक्षण हिंदी भाषा का शब्द है  English में इसको reservation or affirmative action कहते हैं ।आरक्षण का मुख्य उद्देश्य अनुपातिक तौर सरकारी संस्थानो में प्रतिनिधित्व देना है जो लोग सामाजिक ऊँच नीच की अमानवीय व्यवस्था के कारण जीवन के हर क्षेत्र में पिछड़ गये हैं उनको मुख्य धारा में शामिल करना, मानवता को विकसित करने को ही आरक्षण नाम दिया गया । पूर्व में कुछ शातिर षड्यंत्रकारी पूर्वाग्रही लोगों ने अपने फ़ायदे के लिये एक व्यवस्था का निर्माण किया जिसमें मानव को ऊँच नीच में विभाजित कर दिया गया  । उस व्यवस्था में मानव के शरीर का layout तो दिखा मगर उसमें जो इंसानियत, दिमाग़, विचार होने चाहिए वो मूल गुण ग़ायब कर दिया गया ।इसमें सबसे बड़ा घालमेल शिक्षा को कुछ वर्ग अर्थात कुछ लोगों तक सीमित करके पुरी मानवता को अंधकारमय कर दिया ।

शिक्षा पर प्रतिबंध
अशिक्षा के कारण इंसान, इंसान तो दिखा मगर वो अपना दिमाग़ी संतुलन खो बैठा और उन षड्यंत्रकारी लोगों को मानव पर बिल्कुल  लेस मात्र भी करुणा नही आई इसके विपरीत मानव के शोषण करने के रास्ते खोजे गये और उसी पीड़ित शोषित इंसान को जातियों ,उपजातियों में विभाजित करके शोषण को और तेज किया गया । ये उस समय का एक विकास model था । विकास इतना ज़्यादा हुआ की मानवीय रिश्तों को तार-तार कर दिया गया  । मानव को घृणित व बुरे कामों के लिये तैयार किया गया ।

बेसहारा जगत जननी

औरत जो मानवीय संख्या का आधा हिस्सा है उसको सिर्फ़ बच्चे पैदा करने की मशीन मात्र समझा गया उससे बच्चे पैदा करवाए जाते और बहुत कम खाने को दिया जाता और फिर अगले बच्चे की तैयारी । महिला की भावनाओं को पूर्णतया मार दिया गया । उसके सोचने पर भी ताले लगा दिए गए ।इतना अनर्थ किया गया की वो अपने भाई बहन माता पिता से भी प्यार की बातें नही कर सकती थी । अगर औरत का पति मर जाए तो उसको उसी के साथ ज़िंदा जला दिया जाता था  उफ़ इतना कुछ हुआ सिर्फ़ शोषण करने के लिये आप सोचिए अगर आज कोई हमारी बहन बेटी माँ का जाहिलों की तरह शोषण करे तो हमारी क्या प्रतिक्रिया होगी ?

ये सब उन जाहिल इंसानो ने इसलिए किया की उनकी सर्वोचता बनी रहे  और इंसान  रूपी अस्थि पिंजर हमारे सामने सर उठाकर ना चल सकें ।  इन्होंने कुछ अपने ग्रंथ भी लिखे और नियम तैयार किए की महिला ,किसान ,मज़दूर,श्रमिक का शोषण कैसे कैसे करना है ? और उसको दैविय अवतार का नाम दिया गया ये भी बताया की जब जब पृथ्वी पर अत्याचार बढ़ेंगे तो मैं अवतार लूँगा । मानव अपने ऊपर हो रहे शोषण को सामान्य मानकर बिना दुःखी हुए तत्कालीन आतंकियों की सेवा में लगा रहा ।

बेसहारा श्रमिक वर्ग 

किसान सारा दिन धूप ,बारिश ,अंधेरे में अपने खेत पर उत्पादन करता कुछ तो बेमौसम  उसको खा लेता और कुछ साहूकार  महाजन उसको लूट लेता और वो बेचारा खेतों में बेगार करके ही मर जाता ।ये शिलशिला पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहा ।एक व्यवस्था तैयार की गई की देश का लगभग 90 प्रतिशत लोग मेहनत करें और बिना काम किये हमारा हिस्सा भगवान के नाम पर अपने आप आ जाए । उसके लिए भगवान का निर्माण किया गया कि कभी अगर लोग शिक्षित हो भी  जाएँ तो हमारा नाम ना आए कि हमने सदियों तक सम्पूर्ण मानवता का शोषण किया है ।पूर्वजों का शोषण हुआ है उसका श्रेय भगवान को दिया जा सके । सातिर दिमाग़ की भी हद होती है ।

अंग्रेजों का आगमन 

ये सब कुछ होने के बाद अत्याचार इतना बढ़ गया की अंग्रेज़ों  ने भारत पर क़ब्ज़ा कर लिया । उन्होंने समझा की यँहा अशिक्षा बहुत है उन्होंने कुछ स्कूल खोले जिसमें पीड़ित शोषित जातियों के बच्चों को भी पढ़ने का अवसर मिला । और उसी अवसर से इन आतंकवादियों की सारी पोल खुल गई और महान शिक्षित महापुरुषों ने इनके द्वारा लिखित  अमानवीय ग्रंथों को पढ़ा  और समझा  कि इन्होंने मेहनतकश इंसानो के खून को पी लिया है ।

आधुनिक भारत की संरचना

अंग्रेज जब भारत छोड़ कर जाने लगे तो उन्होंने एक नया भारतीय संविधान बनाने के लिये कहा और उसको भारत के सबसे शिक्षित इंसान बाबा शाहेब Dr बीआर अम्बेडकर ने तैयार किया । प्रावधान किया की
सदियों तक जिन लोगों का शोषण हुआ है उनको भी विशेष जगह दी जावे ताकी किसान मज़दूर श्रमिक अपने जीवन में आगे बढ़ सकें । आज अगर बेमौसम बारिश या बारिश ना होकर फ़सल ना तैयार होने पर ,सरकार किसानो को मुआवज़ा ,एक धन के रूप में देती है । आज अगर कोई महिलाओं का अपमान करता है तो उसमें भी सजा का प्रावधान है
और इसी तरह अनुसूचित जाति और अनुसूचित जातियों को भी आगे जीवन के हर पहलू में आगे बढ़ने का मौक़ा मिला है ।ये सब इसलिए हो पा रहा है की मानवीय अधिकार संविधान की सूची में दर्ज है ।


आरक्षण शोषित वर्गों ( किसान ,मज़दूर ,महिला ) को मुख्य धारा में आगे बढ़ाने का संवैधानिक अधिकार है । इसलिए संविधान बचाना ज़रूरी है वरना मानवता फिर आतंकवादियों के शिकंजे में फँस जाएगी ।
आरक्षण का विरोध

आज़ाद भारत में लगभग 70  सालों बाद ये बहस छेड़ने की कोशिश हो रही है की आरक्षण देश व समाज के लिये ऊँच नीच पैदा करता है और कामयाब लोगों को पिछड़ा बनाने का एक तरीक़ा है इसको जल्द से जल्द क़ानून लाकर ख़त्म कर देना राष्ट्र हित में हैं  ख़ासकर युवाओं में ये  भ्रांति फैलाई जा रही है । जबकि भारत की सरकारें उस पुरानी व्यवस्था को बदलने में  नाकाम रही  और उन आतंकवादियों को भी  जो आरक्षण के विरोधी हैं । सरकारों ने शिक्षा का निजीकरण करके महापुरुषों के उस विचार को ही ख़त्म कर दिया की अशिक्षा  सब बुराइयों की झड़ है ।


ये आरक्षण का  परिचय है अगर आप सहमत है तो इसको आगे भेजें ।


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

बहुजन समाज पार्टी को आर्थिक सहयोग भारत हितैषी

पूना पैक्ट - ज़्यादा सीट ,कम अधिकार, बिना ताक़त के साथ

इंडिया नामक गठबंधन से मिल जाए तो सेकुलर न मिलें तो भाजपाइ- बहन कुमारी मायावती जी