हमारा संघर्ष किसी जाति या वर्ग से नहीं,व्यवस्था के विरुद्ध है - बसपा

बहुजन समाज डबल गुलाम है 

बहुजन समाज पार्टी का संघर्ष किसी जाति,धर्म या वर्ग के विरोध में नहीं बल्कि मनुवादी व्यवस्था अर्थात ऊँच-नीच असमानता के विरोध में हैं! जातिगत भेदभाव खतम किये बिना भारत स्वस्थ्य लोकतांत्रिक देश नहीं बन सकता क्योंकि सामाजिक लोकतन्त्र के बिना राजनीतिक लोकतन्त्र सफल होना नामुमकिन है! भारतीय समाज में  आर्थिक असमानता का सबसे बड़ा कारण  भारतीय समाज मे सामाजिक लोकतन्त्र का  नहीं  होना है  ! अंग्रेजों के भारत छोड़ने से पूर्व बाबासाहेब डॉ अम्बेडकर ने उनको चेताया कि आप दलितों पिछड़ों का हक दिलवाकर जाएं! इस देश का मूलनिवासी अर्थात बहुजन समाज डबल गुलाम है! सवर्णों का गुलाम  और सवर्ण अंग्रेजों के गुलाम ! 

baba saheb& kanshiram 
बाबासाहेब का दूसरा नाम कांशीराम 

बाबासाहेब डॉ अम्बेडकर को अंतिम दिनों में यह चिंता थी कि मेरे पश्चात इस बहुजन समाज को  कौन देखेगा ! उनकी शंका सही सिद्ध हुई! बाबासाहेब के देहावसान के बाद दलित शोषित समाज का लंबे अर्से तक कोई अगवा नहीं रहा! जो लोग बाबासाहेब का कारवां आगे बढ़ाने की बात करते रहे वो मनुवादी राजनीतिक दलों में शामिल हो  गए और चाटुकारिता में लिप्त होते चले गए! लंबे अंतराल के बाद मान्यवर कांशीराम जी दूसरे बाबासाहेब अम्बेडकर के रूप मे आगे आए और समाज को सही दिशा की ओर लेकर आगे बढ़ें !बहुजन समाज पार्टी निरंतर बाबासाहेब के कारवाँ को गतिशील करने मे सफल हो रही है  ! 

सन 1977 में बहुजन समाज ने तय किया कि काँग्रेस कि सरकार नहीं बनने देंगे वैसा ही हुआ! परंतु जब" बाबु जी " के प्रधानमंत्री बनने की बात आई तब हलचल मच गई! ज़बर्दस्त चर्चा उठी कि एक चमार  प्रधानमंत्री कैसे बन जाएगा ! यही हुआ पंडित मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने! बहुजन समाज अपमानित करता हुआ बाबु जी के पास पंहुचा कि- बाबु जी आप नीला झंडा थाम लें और बहुजन समाज की अगुवाई करें! हमे अब और अधिक अपमान बर्दास्त नहीं! परंतु बाबु जी ने एक नहीं सुनी और घूम फिर कर उन्हीं मनुवादीयों के चरणों में पड़े रहे! जीते जी तो वे समाज का भला करने से रहे उनके देहांत के पश्चात उनकी संपति का बटवारा भी उनकी स्वर्ण बहु और स्वर्ण दामाद के पास चली गयी! इसी प्रकार अन्य लोगों ने व्यक्तिगत स्वार्थों के कारण republican पार्टी छोड़ कर मनुवादी दलों से हाथ मिला लिया  ! 

Discrimination 

जातिवादी सामाजिक व्यवस्था को नेस्तनाबूद करना होगा 

बहुजन समाज पार्टी द्वारा चार बार उत्तर प्रदेश मे सरकार बनाना वर्षों की मेहनत व मशक्कत का परिणाम है!जब हम कोई कार्यक्रम शुरू करते हैं ऊंची नीची व्यवस्था के हामी लोग उसे जातिवादी कहने से नहीं चूकते! हमारे जाति तोड़ो- समाज जोड़ों एवं जाति भेद का बीज़ नाश कार्यक्रमों को जातिवादी कहा गया जबकि मनुवादी समाज जो जातियों के नाम पर बहुजन समाज का शोषण कर रहा है! जाति के नाम पर हमें पिछड़ा बनाता आया है! हमारे हक और अधिकार छीन कर अपमानित करता आया है और जातियों के नाम पर आपस मे दंगा करवाकर शासन करता चला आ रहा है! जालिम हुक्मरान को कतई सहन नहीं की सुदूर जातियों मे कभी भाईचारा बने! हमे मिलजुलकर 6743 जातियों को बहुजन समाज पार्टी के नीले झंडे के नीचे एकजुट करने के लिए ताकत लगानी चाहिए !  एक बार फिर भारत को विश्व मे सोने की चिड़िया अर्थात समतामूलक,न्यायपूर्ण, बंधुत्व भाईचारा कायम करके सामाजिक,आर्थिक  गैरबराबरी को खत्म करके भारतीय संविधान को मूलरूप में लागू करके व्यवस्था परिवर्तन करना ही बहुजन समाज पार्टी का मुख्य उद्देश्य है! 




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