संविधान क्या है ?

 संविधान ,नागरिक व सरकार के मध्य एक दस्तावेज है जिसमें मानव को आज़ादी,व सरकार शक्ति के लिये  उसको प्रयोग करना अपना अधिकार मानती है । मानव अधिकार व सरकारी शक्ति को संयमित करने के लिए  सभ्य समाज में संविधान कीं विशेष  ज़रूरत है ।  सरकार व मानव के बीच संतुलन जो पैदा करे वही संविधान  है । 
संविधान का मतलब है सर्वश्रेष्ठ विधान और विधान को ही आम बोलचाल की भाषा में  कानून अर्थात विधान  कहा जाता है !लोगों के वयवहार को राज्य और समाज में कानूनी  रूप से निर्देशित करने को ही सविधान कहा जाता है ! संविधान जो सरकार बनाता है और  सरकार जो कानून बनाती है वो संविधान के अनुसार होने चाहिए ! सारे के सारे कानून संविधान के निचे आते हैं ! वयवस्थापिका (संसद) जो कानून बनाए वो संविधान के अनुरूप होने चाहिए अर्थात संविधान जिन कानूनों को बनाने की इज्जाजत सरकार को देता है उसी प्रकार के कानून सरकार बना सकती है इसलिए प्रत्येक कानून को संविधान के अनुरूप होना जरुरी होता है ! कानून को लागू करने के लिए बहुत सारे नियम बनाने पड़ते हैं ! कुछ छोटे कानून होते हैं जिनको कार्यपालिका बनाती  है इन नियमो के बिना असली कानून को लागू नहीं किया जा सकता ! जैसे कुछ संस्थाओं द्वारा जो नियमावली हमें मिलती है जिनको हम टर्म्स एंड कंडीशंस कहते हैं और इस  नियम में भी एक और क्लॉज़ जुड़ता है जिसको हम परिनियम कहते हैं !किसी भी देश में पूरी राजनितिक वयवस्था को संचालित करने के लिए तीन बेहद ख़ास सम्बन्धो को  जानना बहुत जरुरी है 

        संविधान =           सरकार     +        कानून           +             नियम 


कानून जो हमारे दैनिक जीवन को सही ढंग से संचालित करता है और कानून को लागू करने के लिए जो नियम बनते हैं !समाज में जैसे जैसे बदलाव होता रहता है वैसे ही संसद ( वयवस्थापिका)  को संविधान में संशोधन करने का अधिकार  है और ये संसोधन भी संविधान का ही अंग होते हैं !1950 में जो लिखित संविधान अंगीकार किया गया जिसमे 395  अनुछेद हैं में  विवाद होता रहता है उस  विवाद  की सर्वोच्च न्यायालय में व्याख्या की जाती है  वो  व्याख्या के निर्णय भी संविधान का ही अंग स्वीकार किये जाते हैं हैं !

संविधान =         व्याख्या       +   विधिक भाष्य  +    परम्पराएं    (सर्वोचय न्यायालय द्वारा )

इतना ही नहीं बहुत सारे विधिक  विद्वान जो कानून की व्याख्या करते हैं और टिकाएं व् पुस्तक  लिखते हैं ! संविधान में बहुत गहरे ,कठिन ,लीगल शब्दों का प्रयोग किया हुआ होता है उनको  सरल भाषा में व्याख्या करते हैं जो संविधान की सही समझ हमको देते हैं  उन विधिक भाष्य को भी संविधान का  ही अंग माना जाता है !

इससे भी आगे जोअति महत्वपूर्ण है कुछ ऐसी भी चीजे होती है जो लिखी ही नहीं होती है जिनको हम परम्पराएं
कहते हैं तकनिकी भाषा में उनको संविधान के अभिसमय कहते हैं वो भी संविधान का अंग माने जाते  हैं !अगर वास्तव में देखा जाए तो संविधान लिखित  पुस्तक ही नही है !

संविधान =   कानून +नियम +व्याख्या + विधिक भाष्य + परम्पराएँ 


आप खुद व्याख्या कर लीजिये भारत में कौन सा संविधान काम करता है ? इंडियन जुडिशरी सेवा आज़ादी के 70 सालों  के बाद भी क्यों सुरु नहीं हुई ? सरकार जो विधान बनाने की जिम्मेदारी लेकर चुन कर आती है ! हम भारत के लोग सब राम भरोसे हैं ?

वयवस्थापिका + सर्वोच्च न्यायालय = परम्पराएँ  

लिखित संविधान लागू करो 


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