मैने निर्धनों से कहा की पहला नोट मेरे डिब्बे में दुसरा वोट चुनाव आयोग के डिब्बे में - मान्यवर कांशीराम साहब*



 यही से एक वोट के साथ एक नोट का डिब्बेवाला कार्यक्रम यही से शुरू हुआ..


मैने डिब्बे से नोट गिना तो 32000 नोट निकले.. और चुनाव कमिश्नर ने अपने डिब्बे से वोट गिने तो 86000 वोट निकले. - मान्यवर कांशीराम साहब..


मैने महाराष्ट्र के पेंटरों से कहा की पुरे इलाहाबाद में 1 लाख हाथी छपवा दो - मान्यवर कांशीराम साहब...


 महाराष्ट्र से आये बसपाई पेंटरोंने इलाहाबद की दिवारों पर 1 लाख हाथी छपवाये...


हमारा निर्धन समाज का मुकाबला धनवानों वाले मनुवादी समाज से है - मान्यवर कांशीराम साहब..


पढ़िये यह मान्यवर कांशीराम साहब की जुबानी.. 


साथियों, 1988 में इलाहाबाद संसदीय सीट का उपचुनाव हुआ, वहां से मैने अपना नाम भरा। जहा एक तरफ काँग्रेस पार्टी मैदान में थी, तो दुसरी तरफ सारी विपक्ष पार्टियों की ओर से व्ही.पी.सिंग चुनाव मैदान में थे, जिनके पास खर्चने को करोड़ों रुपया था.. और हमारे पास वहां पर पैसों की बहोत कमी थी. तब वहां पर मैने चुनाव के लिये एक डिब्बा खरीदा, एक रेड़ी किराये पर ली। रेड़ी पर हारमोनियम लेकर पार्टी के गाना गाने वालों का साजबाज रखा और मैं उस रेडी के पीछे-पीछे "एक वोट के साथ एक नोट" डालने वाला डिब्बा लेकर चला। गाना गाने वाले साथ-साथ चलते रहे की, "नोट भी दे दो और वोट भी दे दो" तब मैने गली-गली, गांव गांव घुमकर बहुजन समाज के लोगों से फील की कि में निर्धन समाज की ओर से उम्मीदवार खड़ा हूँ. मेरा समाज निर्धन समाज है. हमारा निर्धन समाज का मुकाबला धनवानों वाले मनुवादी समाज से है. अभी मैं आपके पास वोट मांगने आया हूं, आपने मुझे यदि अपना एक वोट डालना है तो उससे पहले मुझे अपने वोट के साथ एक नोट भी डालना है। आप निर्धन समाज केलोग है इसलिये आपका यदि मुझे वोट डालना है तो अभी से मन बना ले ओर एक वोट के साथ एक नोट भी डालना है. हमारा चुनाव भर में यह कार्यक्रम चलेगा। इसके बाद चुनाव आयोग की ओर से वोट लिये डिब्बा आयेगा। इसलिये इससे पहले मुझे अपने एक वोट के साथ एक नोट डालना है। ताकि मैं अन्दाजा लगा सकूं की मुझे मरे निर्धन समाज का इतना वोट जरुर मिलेगा। इसके साथ-साथ महाराष्ट्र से हमारे कुछ पेन्टर कार्यकर्ता भी आये, उनको मैने बोला कि, इलाहाबाद की हर दिवार पर हाथी बना दो, तो उन्होंने एक लाख हाथी बना दिये. इसके अलावा हमारा कोई प्रचार नहीं था. उन हाथियों को देखर अखबार वाले भी कुछ लिखने लग गये कि काँग्रेस और विपक्षी पार्टियों के वी.पी.सिंह के अलावा बहुजन समाज पार्टी का कांशीराम भी चुनाव मैदान में है. जब चुनाव का दिन आया तो वोट पड़ने के बाद उधर इलेक्शन कमिश्नर ने अपने डिब्बे में वोट गिनना शुरू किया तो दुसरी और मैने नोट गिनने लगा. मेरे डिब्बे में 32 हजार नोट निकले और उधर इलेक्शन कमिश्नर नें अपने डिब्बे के वोट गिनकर घोषणा की, की कांशीराम के डिब्बे में 86 हजार वोट निकले। जबकि करोडो रुपये खर्च करने वाली काँग्रेस पार्टी के उम्मीदवार को मात्र 92 हजार वोट निकले. काँग्रेस पार्टी को मुझसे मात्र 6 हजार ज्यादा वोट निकले. तब थोड़े ज्यादा वोट लेकर विपक्षी पार्टियों का उम्मीदवार व्ही.पी.सिंह चुनाव जीत गया.


जय भीम जय काशीराम

बहुजन समाज पार्टी जिंदाबाद

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