पर्दे के पिछे का सच

 

📢✍️पर्दे के पीछे  क्या  है  

पर्दे के पीछे बहुत कुछ छुपा होता है और चालाक लोगों को बहुत सारा झूठ पर्दे के आगे परोसने की आदत है  ! 

अगर सच ही  बोलना और दिखाना है तो पर्दे की जरूरत ही  नहीं  है!  भोले-भाले लोग पर्दे के आगे जो बोला जा रहा है उसको ही सच मानकर सहयोग करने लग जाते है मगर कुछ दिनों के बाद आँखों से पर्दा हटता हैँ तो ठगा महसूस  करते  है  मगर अब  क्या  ? जो आपका दुरुपयोग करना था वो  किया  जा चुका  है  !  ऐसा  एक  बार नहीं  बार बार हो रहा  है ! कुछ चालाक चतुर लोग बाबासाहेब के विचारों को आरएसएस की faceless( बिना चेहरे)सोच मे बांध कर लोगों का मानसिक, आर्थिक शोषण करने पर  लगे है !संत  शिरोमणी कबीर दास जी ने  कहा  है! 

 *धर्म राज की नींव है,राज धर्म समसीर।* 

 *पहला कबीरा राज को, धर्म ध्वज प्राचीर।।* 

पहले राज की स्थापना करो धर्म की पताका स्वयं सबसे ऊंची मीनार पर फहर जाएगी  ! बिना राज के धर्म कभी भी  प्रफुल्लित नहीं  हो  सकता ! महापुरुषों के कथनों को जब चुनाव आता है ये  तथाकथित धार्मिक पताका फहराने वाले लोग पर्दे के पीछे रहकर faceless आरएसएस  सोच की पार्टियों को अपना वोट देने का काम करते हैं!

केजरीवाल -बाबासाहेब जी और शहीद भगत सिंह जी के विचारों पर चलने का स्वांग रचता है मगर जब उनके विचारों  की बात आती है तो उनके एक मात्र बाबासाहेब के अनुयायी कैबिनेट मंत्री से इस्तीफा लेने का काम करता है!  फिर भी वो मंत्री उस पार्टी मे विधायक  के  तौर  पर  बना हुआ  है  आप क्या समझे  इसको  ही  कहते  हैं  आरएसएस का faceless ( बिना चेहरे) चाल,चरित्र और चेहरा  !  मनुवाद कैसे कैसे आपके घरों मे, आपके जहन मे आपके खाने मे जहर के रूप मे प्रसाद के  रूप मे दिया  जा रहा है  आपको  गहराइयों से  चिन्तन मनन करना होगा  ! *केजरीवाल-मंत्री का इस्तीफा ले  लेता  है और मंत्री विधायक के तौर पर फिर भी बना हुआ है  तो आप समझिए विधायक महोदय बाबासाहेब के नहीं केजरीवाल के अनुयायी  हैँ* 

मेरा उद्देश्य किसी को ठेस पहुचाने का नहीं  है  सिर्फ पर्दा हटाने का  है  !

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