पंडितों से वैदिक रीति से शादी करवाना अपराध है



*🔥पंडितो से वैदिक रीति से शादी करवाना अपराध है🔥* 

    *In 1819, by the Act 7, the Brahmins prohibited the purification of the women.  (On the marriage of the Shudras, the bride had to give her physical service at the house of Brahmin for at least three nights without going to her mother's house.)*

   *ब्रिटिश सरकार ने 1819 में अधिनियम 7 द्वारा ब्राह्मणों द्वारा शुद्र स्त्रियों के शुद्धिकरण पर रोक लगाई।   (शुद्रों की शादी होने पर दुल्हन को अपने यानि दूल्हे के घर न जाकर कम से कम तीन रात ब्राह्मण के घर शारीरिक सेवा देनी पड़ती थी।)*

     इस विषय पर एक पिक्चर "अंकुर" बन चुकी है। जिसमें सबाना आजमी ने दुल्हन की भूमिका निभाई है।

   यही नही आज भी शादी के वक्त  बधू से सातो बचन जो दिलाए जाते है, उसमे सबसे पहला और मुख्य वचन यह होता है।

   *पहला वचन--मै अपने पुरोहित की उनकी इच्छा अनुसार दान दक्षिणा, सेवा सत्कार करती रहूंगी, उसमे पतिदेव जी का कोई हस्तक्षेप नही होगा। इस वचन को लेकर शादी के समय कयी बुद्धिजीवी लोगों द्वारा विरोध जताने पर अब इस वचन को समझदार पंडितों ने निकाल दिया है।* 

   मैंने कयी बार शादी के समय ऐसे वचनों का और नियमों का विरोध किया है। कयी बार माहौल खराब होने की डर से मैं खुद शादी के समय मंडप में, आग्रह करने के बाद भी नहीं जाता हूं।

   *इसलिए आज भी पत्नियां, पति से ज्यादा अपने पंडित, पुरोहित की बातो को ज्यादा तवज्जो देती हैं। इसलिए पाखंडी ब्रत, पूजा -पाठ, सत्संग और त्योहारों को लेकर कयी बार पतियों से मनमुटाव भी हो जाता है। कभी कभी तो सामाजिक प्रतिष्ठा को देखते हुए और पत्नी के जिद्द के आगे, पति बेचारे को मजबूरी में झुकना पड़ जाता है। इसलिए पाखंड और अंधविश्वास को बढ़ावा देने में घर की महिलाओं का बहुत बड़ा योगदान रहता है।*

    पंडितों द्वारा वैदिक मंत्रों से शादी का जो 4-5 घंटे तक कार्यक्रम चलाया जाता है, वह सिर्फ अपना पेट-पूजा के उद्देश्य से, लोगों को वेवकूफ, अंधविश्वासी, पाखंडी और सभी को अपना पैर पूजवाकर, अपने से सभी को नींच बनाने का एक खणयंत्र है। यहां तक कि नींचता का ऐसा घिनौना अपराध जो, लड़की के बुजुर्ग बाप से दामाद का पैर धुलवाए जाते हैं। यह सिर्फ लडकी के बाप के आत्मसम्मान को नीचा दिखाने का खणयंत्र है। हमें विद्वान ब्राह्मण कोई एक मंत्र बता दें, जो शादी के समय, आंधी-तूफान, आग, वारिस या किसी भी अन्य अनहोनी घटना से बचा सके। या फिर शादी के बाद, तलाक की नौबत न आने पाए।

    *शादी से पहले, सबसे महत्वपूर्ण वैदिक मंत्र सप्तविधि और अवदान विधि होती है। ब्राह्मणों की वैदिक रीति से यह दावा होता है कि, शूद्रों की सभी कुंवारी लड़कियां ब्राह्मण की सम्पत्ति होती है। लड़की का भाई मंत्रोच्चार से पुरोहित से कहता है कि, मेरी बहना को मुक्त कर दो, उसकी शादी के लिए मैंने बहुत ही अच्छा दुल्हा ढूंढ़ लिया है। उसी मौके पर लड़की को मुक्त करने के लिए पैसे, 101, 501, 1001--100001--आदि हैसियत के अनुसार पंडित डिमांड करता है। देने के बाद मुक्त करता है, तभी देवी देवताओं से आसमान से फूलों की वारिस होती है, जिसे दोनों तरफ से लावा फेंकने के रूप में दिखाया जाता है। इसी को वैदिक मंत्रोच्चार कहा जाता है।*

   शादी के समय मंत्रोच्चार कर कन्या-दान भी अपराध है।

*सांलकारां च भोग्या च सर्वस्त्रां सुन्दरी प्रियांम्।*

*यो द दाति च विप्राय चंद्रलोके महीवते।।*

                            (देवी भागवत 9/30)

 (जो भोग करने योग्य सुन्दर कुंवारी कन्या को वस्त्र आभूषणों सहित ब्राह्मण को दान करेगा, वह चंद्रलोक पहुंच जाएगा)

    *इसी दान को शादी के समय कन्या- दान में बदलने का मंत्रोच्चार होता है। क्या आप की बेटी कोई बस्तु है जो आप दान में देते हैं?*

 (शादी की पूरी विधि-विधान का उल्लेख हमारी पुस्तक *माननीय चेतना* में वर्णित है।)

    पंडितो से शादी करवाना भी मानसिक गुलामी का सबसे बड़ा कारण है। यही नहीं, आज के इस भगवा शासनकाल में, पुरोहित पंडित कभी भी शूद्रो को अच्छा आशिर्वाद या शुभकामनाएं दे ही नहीं सकता। यदि आप ने उसके डिमांड के मनमाफिक दक्षिणा दे दिया, तब तो कुछ गरीमत है, अन्यथा बर-बधू और पूरे परिवार को बद्ददुवाएं ही देता रहता है। साथ ही साथ पाखंड, अंधविश्वास और ऊंच-नीच की भावना भी समाज में पैदा कर चला जाता है। इसलिए पंडितों से शादी -विवाह करवाना जघन्य अपराध है। यही अपराध आप को ज़िन्दगी भर  वैवाहिक जीवन सुखमय नहीं होने देता है।

    *कुछ लोग विकल्प की बात करते हैं, तो, स्वतंत्रता के बाद संविधान लागू होते ही, आर्टिकल 13 के अनुसार ऊंच-नीच की भावना से ग्रसित ब्राह्मण से शादी कराने पर प्रतिबंध लगाते हुए कोर्ट- मैरिज का प्रावधान किया गया है। सम्वैधानिक वचनबद्धता के साथ सबसे शुभ और अच्छा है। आप को इतना ज्ञान तो है कि, शादी किसी से भी कराएं, लेकिन तलाक के लिए कोर्ट में ही जाना पड़ता है।*

     *देखने में भी आया है कि कोर्ट मैरिज का तलाक दूसरों की तुलना में बहुत ही कम होता है।*

     *आजकल बौद्ध रिति से शूद्रों में शादियों का प्रचलन खूब चल रहा है।*

     ठीक है, यदि आप हिन्दू रीति-रीवाज से ही शादी करना या करवाना चाहते हैं तो, ब्राह्मण से तो कत्तई मत करवाइये। जैसे आप रिंग सेरेमनी, बरच्छा आदि बिना पंडित से करते-करवाते हैं, ठीक वैसे ही घर की औरतों से ही शादी गीत के साथ, बाराती स्वागत, मिलनी, द्वारपूजा, फिर शादी की सभी मुख्य रस्में वरमाला, सिंन्दूर लगाना, सात फेरे और अन्त में बरवधू से प्रतिज्ञा लिखित या जुबानी बुलवा दीजिए। फोटो शेसन के साथ एक दुसरे से आशीर्वाद लीजिए और दीजिए। शादी समाप्त। 

     *पंडितों द्वारा बताए गए अन्य सभी ढकोसलों को बन्द कर दीजिए।      ब्राह्मण मंत्र कुछ नहीं सिर्फ गाली है। अन्यथा आप हिन्दी अर्थ के साथ शादी करने का आग्रह करिए। कभी तैयार नहीं होगा। यदि आप सही मे पूरी शादी हिन्दी में समझ लिए तो, यकीन मानिए वहीं आप पुरोहित को जूते मारना शूरु कर देगें।*

     *वहिष्कार! वहिष्कार! वहिष्कार!*

         *गर्व से कहो हम शूद्र हैं*

   आप के समान दर्द का हमदर्द साथी।

       *शूद्र शिवशंकर सिंह यादव*

           मो०- W-7756816035

                        9869075576

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