मुजफ्फरनगर गांव में चमारों को पाँच हजार जुर्माना और पचास जुते मारने के आदेश
उत्तर प्रदेश के ज़िला मुज़फ़्फ़रनगर गाँव पावटी खुर्द में खुलेआम मुनादी हो रही है कि "कोई भी 'चमार' उसकी डोल,समाधि,ट्यूबवेल पर दिख गया तो 5 हजार रुपए जुर्माना और 50 जूते होंगे! हिंदू बनने का जिनको शौक़ चढ़ा था, उन्हें अब समझ आ गया होगा ?
प्रिय साथियों ! हमारे लोग ज्यादातर गुमराह है। वे जातियां बदलने में माहिर हैं । और गुमराह हो करके, एक जाति छोड़ करके, नई जाति को जन्म दे देते हैं। इसलिए देश के दलित और पिछड़े बहुजन लोग, हजारों की संख्या में जातियों में बटे हुए हैं।
बाबा साहब ने बार-बार कहा कि हमारी समस्या जाती तो है मगर उसकी वजह धर्म है। इसलिए धर्म को छोड़ दो । मगर हमारे लोग अपनी सारी एनर्जी जाति बदलने में, तोड़ने में, या जाति छोड़ने में लगा देते हैं मगर धर्म नहीं छोड़ना चाह रहे।
बाबा साहब ने 14 अक्टूबर 1956 को हिंदू धर्म को छोड़कर के धम्म मार्ग को अपनाया था । इसलिए यह ध्यान रखने की बात है कि बाबा साहब ने धर्म छोड़ा था, जाति नहीं । अगर आप धर्म छोड़ देते हैं इन जातियों का कोई महत्व ही नहीं रह जाएगा। मगर जब तक आप इस हिंदू धर्म से चिपके रहोगे,जातियां आपका पीछा नहीं छोड़ेंगी और ना ही आपका शोषण रुकेगा। इसलिए जितनी जल्दी हो सके, इस धर्म रूपी बीमारी से पीछा छुड़वाले । आप का कल्याण होगा।
चलो मान लेते हैं कि उन लोगों की कोई मजबूरी होगी, जो तथाकथित ऊंची जाति के लोगों के ट्यूबेल पर पानी लेने जाते हैं। मगर मेरे को एक बात समझ में नहीं आ रही है कि बिजनेस करने वाले या नौकरी पेशा लोगों को क्या हो गया है, जो अपने बेटे और बेटियों के बायोडाटा मैरिज ब्यूरो में डालते हैं तो धर्म के कॉलम में हिंदू क्यों लिखते हैं।ऐसा नहीं कि उनको मालूम नहीं है ? वह भली भांति परिचित है कि दलितों को मंदिर में घुसने पर, प्रसाद ग्रहण करने पर, किसी बर्तन के छूने पर ,चक्की के छूने पर , तालाब नदी आदि से पानी लेने पर, यहां तक कि उन तथकथित उच्ची जाती के लोगों के जानवरों को छूने पर भी पीटा जाता है। अपमानित किया जाता है। और फिर भी यह बदतमीज और बेगैरत लोग, न जाने क्यों अपने आप को हिंदू लिखते हैं?
मैं ज्यादातर शादियों के लिए बनाए गए ग्रुप में देखता हूं कि जो लोग अपने बेटों बच्चों के बायोडाटा शेयर करते हैं धर्म के कॉलम में बड़े गर्व से हिंदू लिखते हैं । लिखते हैं जाति चमार, धर्म- हिंदू ,जाति जाटव, धर्म- हिंदू । तो इनका समझाना मुश्किल है।
इसलिए ठीक कहते थे कि चाम को और गुलाम को जितना पीटा जाए, उतना सही रहता है। ये गुलाम हैं असंख्य महापुरुषों ने जोर लगा लगा कर, के अपने जीवन फ़ना कर दिए मगर यह गधे अपना जीवन ना बना सके। लानत है ।
अगर आप अपने वर्तमान परिस्थिति को नहीं बदल सकते तो आप धरती पर बोझ हैं! सम्मान से जीने के लिए बाबासाहेब के अनुयायी और बुद्ध के बताए अत दीपो भव को ग्रहण करें !!
बहुत बढ़िया ! धन्यवाद मान्यवर जगबीर फुलिया जी । आपके लेख लोगों को मार्गदर्शन का काम करेंगे । आप कृपया इस कार्य को जारी रखें। जिन लोगों को पढ़ने के बाद में समझ आना होगा, वे शोषण से बच जाएंगे और जिनको नही समझ में आएगा, वे पीटेंगे और पिटते रहेंगे।
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