निर्माण को विकास कहना भारतीयों को मुर्ख बनना है सावधान रहें


भारत सदियों से परतंत्रता में जकड़ा रहा और शासकों ने आम  ज़न मानस को रोजी रोटी में उलझा करके शोषण जारी रखा! शिक्षा से कोसों दूर भारतीय समाज इतना पिछड़ गया  कि  वर्तमान मे  भी  शासक शब्दों का  हेर फ़ेर  करके पढ़े लिखे लोगों को  मुर्ख  बनाकर अपना  उलू सीधा करने मे  लगे हैं! प्रचार-प्रसार के  सारे रास्ते अपनाकर बेवकूफ़ जनता पैदा करने की  कोशिश जारी है खासकर आरएसएस द्वारा ! षड्यंत्रकारी चालाक संगठन एड़ी चोटी का जोर लगाकर लोगों के धार्मिक विश्वास को  अंधविश्वास में बदलकर और धन बल का प्रयोग करके सत्ता पर काबिज होने की सस्ती सांस्कृतिक रचना से इंसानो को पशु के समान तैयार करने में  लगे  हैं! 

सबका साथ सबका विकास 

सबका साथ सबका विकास तैयार करने में लोगों को सीधे अपने से  जोड़ने का एक षडयंत्र रचाया गया जिसकी वजह से उत्तर भारतीयों ने इस नारे के सम्मान में अन्य  दलों को पीछे छोड़ दिया और  वैचारिक मतभेद भुलाकर विकास को गले लगा लिया! इसके पीछे योजनाबद्ध तरीके से लोगों को  सपने दिखाकर मतदाताओं का समर्थन  हासिल किया गया और फिर असली खेल की  शुरुआत हुई!विकास की  परिभाषा जनता के  बौधिक  स्तर को उन्नत करना है जबकि शिक्षा की नीति बदलकर शिक्षा के अधिकार को खत्म करने के लिए 2020 में  नई शिक्षा  नीति  लागू की जिसमें शिक्षा का  निजीकरण करके सरकार ने अपनी  जिम्मेदारी से  पीछा छुड़वा लिया है! अब  शिक्षा ही  असमानता का  कारण बनेगी क्योंकि महंगी शिक्षा हर एक  माता पिता की  पंहुच से बाहर  का  विषय होगा! आमदनी  हजारों में  और शिक्षा की फीस  लाखों में, शिक्षा पर लोन ,युवा को पूरी  जिंदगी लोन  चुकाने की  साजिश में  पूंजीपतियों के  हाथों  में बेच दिया  गया! ये  सब सिर्फ विकास के  नाम पर पूंजीपतियों की  बड़ी  बड़ी यूनिवर्सिटी का इन्फ्रास्ट्रक्चर की परियोजनाओं से जनता को लूटने का साजिश मात्र  है! गुणवत्ता से  परिपूर्ण शिक्षा की  जिम्मेदारी सरकार की  है  मगर  सरकार ने  शिक्षा का  निजीकरण करके अपने  चहेते पूंजीपतियों, को लूट का लाइसेन्स  थमा दिया है  ! 

सड़क पर टोल टैक्स 

भारत वर्तमान में गाडियों का  निर्माण  करने में  दुनिया में सबसे आगे  है ! गाड़ी जब  फैक्ट्री से  बन कर बाहर  आती  है  तो 28% जीएसटी सरकार को भुगतान होती  है!  जैसे  ग्राहक  उसको  खरीदता है  तो  उससे  रोड टैक्स  के  नाम  पर  लाखों रुपये वसूले जाते  हैं ! निर्माण को  विकास  बताकर जनता की  मेहनत  की  कमाई को पूंजीपति वर्ग और  सरकार मिलजुलकर लूट रही  हैं! सड़कों  का  जाल पूंजीपति बिछा रहा है और  फिर  उस पर  सालों साल  टैक्स के  रूप में वसूलता है  जबकि  गाड़ी खरीदने वाले  ने  रोड  टैक्स  पहले ही  भुगतान कर  दिया  है  ! सड़क का  निर्माण करने की जिम्मेदारी सरकार की  है मगर लूट के  बाजार में नेता और  पूंजीपति दोनों मिलकर जनता का शोषण कर रहें  हैं! सड़क का निर्माण विकास के  रूप मे जनता की  जेब पर डाका ड़ाला गया है!

शिक्षा चिकित्सा ज़न विकास 

शिक्षा वो भी  सरकारी, सस्ती और  गुणवत्ता से परिपूर्ण आधुनिक होनी चाहिए ! सरकार ने हर किताब पर जीएसटी लगाकर सिर्फ टैक्स वसूलने की परियोजनाएं तैयार की  हैं!  गरीब और  गरीब  होता चला गया महंगी शिक्षा नीति लोगों को अशिक्षित रखने का प्रयास है! सस्ती शिक्षा से  अच्छे डॉक्टर इंजीनीयर  तैयार  होकर  समाज मे कम परामर्श  फीस पर  लोगों  को सुविधाएं मिल  सकती  है  जो आज  आम जनता से  दूर की कौड़ी साबित हो  रही  है! निजी अस्पतालों ने insurance कंपनी के साथ मिलकर इलाज को महंगा कर दिया ! गरीब  लोग  इलाज और  दवाई के  अभाव मे आए दिन दम तोड़ रहें हैँ  ! विकास के नाम पर निजी बड़े बड़े अस्पताल निर्माण किए गए, नेताओं की  मिलीभगत से  सस्ती  जमीन हथिया कर शोषण का नया फार्मूला तैयार किया  गया  है! ये विकास के  नाम पर लूट तंत्र है! सस्ता इलाज और  शिक्षा सरकारों की  जिम्मेदारी है जिसका निजीकरण करके पूंजीपतियों के माध्यम से अप्रत्यक्ष रूप मे चंदा लेकर गरीब छात्रों और गरीब मरीजों को  मरने के लिए बाध्य कर दिया है!

निर्माण को विकास का नाम देकर नेता और पूंजीपति  नागरिकों का जीवन तबाह करने की कोशिश मे लगे हैं! विकास का असली स्वरूप सस्ती शिक्षा, सस्ती चिकित्सा,  सस्ता न्याय, और संविधान का पालन करना है! विकास के नाम पर जनता के  साथ धोखा दिया गया है इसलिए आप सावधान रहें! भारत को  मजबूत करने के  लिए नैतिक मूल्यों को विकास के रूप मे अपनाना होगा!

 


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