धार्मिक अंधविश्वास में शक्ति की खोज ?
धार्मिक अंधविश्वास में शक्ति की खोज
अभी सारी मानवता का एक धम खड़ा नहीं हो सका है इसलिए धम की हार हो रही है रोज , इसलिए नहीं कि मानवता कम ताकतवर है बल्कि इसलिए कि मानवता का खेमा आपस में बंटा हुआ है तो सवभावतय अधर्म की शक्तिया अपने आप बड़ी हो उठती हैं कुछ सवार्थी लोगों ने मानवता को हिन्दू मुसलमान ईसाई जैन बौद्ध पारसी आदि में बाँट दिया और पूरी मानवता को मानवता के ही विरोध में खड़ा कर दिया ! विज्ञानं का कसूर नहीं है कसूर है तो अधर्मी लोगों का ! विज्ञानं का बुनियादी सम्बन्ध वस्तुओं को अधिकतम सुविधापूर्ण बनाने से है और धम का समबन्ध मानवता को अधिकतम आंनद प्रदान करने से है विज्ञानं के बिना धर्म तो अधूरा ही रहेगा !
विज्ञानं के बिना धर्म एक ेंदिन मानवता के लिए घातक सिद्ध होगा ! इसलिए तो विज्ञानं विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जा सकता है ! धर्म नहीं पढ़ाया जा सकता ! पढ़ाने का कोई उपाय नहीं है ! विज्ञानं सामूहिक सम्पति बन जाता है ! धर्म निरंतर वयक्तिगत अनुभव है ! और जब भी हम इसे सामूहिक सम्पति बनाते हैं तब धर्म के रूप में मुसलमान हिन्दू ईसाई जैन पारसी इत्यादि जो एक एक बीमारिया हैं , धर्म नहीं है !जब भी हम धर्म को सामूहिक बनाते हैं तब तक एक संस्था खड़ी हो जाती है जो मानवता के लिए खतरनाक सिद्ध होती है
मैं एक जूठी कहानी आपको बताना चाहता हूँ एक दम असत्य, ये कहानी मेरे को अच्छी लगी लेकिन अधर्म के बारे में इससे सच्ची बात आज के परिपेक्ष में कोई हो नहीं सकती !
यूनाइटेड नेसन आर्गेनाईजेशन ने एक बार सर्वश्रेष्ठ देशो की एक मीटिंग बुलाई जिसमे अमेरिका , रूस व् चीन ने सिरकत की और इन तीनो प्रतिनिधियों से कहा गया की हम बहुत हैरान है की तुम्हारी सारी शक्तिया मानवता की हत्या की और नियोजित हो गयी है और डर इस बात का है की एक दिन मनुष्य जाति विलुप्त हो जाएगी !आपसे प्रार्थना है कि आप एक एक वरदान मांग लो ! तुम्हारी जो इच्छा है वो पूरी भी हो जाए और मानवता भी बच सके ! तुम क्या चाहते हो , आखिर इस दौड़ के पीछे आपके इरादे क्या है ?
रूस के प्रतिनिधि ने कहा हमारी बड़ी कोई आकांक्षा नहीं , बहुत छोटी इच्छा है पूरी हो जाए तो हम निश्चित हो जाएंगे और ये उपद्रव भी बंद हो जाए !
यूनाइटेड नेसन ने कहा : कहो , तुम कहो तो मैं पूरी कर दूं !
रूस ने कहा दुनिया तो हो लेकिन दुनिया में कोई अमेरिका का निशान न रह जाए फिर सब शान्ति हो जाएगी ! एक ही दुविधा है जिससे ये सारी मानवता उलझ गयी और वह अमेरिका का होना ही है !
यूनाइटेड नेसन ने अमेरिका की और देखा ,अमेरिका के प्रतिनिधि ने कहा महानुभाव ,एक तो हमें विश्वास नहीं है कि आप हो भी , कईं वर्ष पहले हमने जापान ,विएतनाम और अभी कुछ वर्ष पहले इराक अफगानिस्तान को आपसे बिना इजाजत के उन पर बम गोले बरसाए और उनके नागरिकों को मानवाधिकार से वंचित किया जब आपने हमें कौन सा वरदान दिया था लेकिन फिर भी आपकी बात मान सकते हैं और स्वीकार कर लेंगे की आप हो !और जो आप कहोगे आँख बंद करके मान लेंगे लेकिन एक छोटी सी आकांक्षा है ! हम दुनिया का नक्शा तो चाहते हैं लेकिन रूस के लिए कोई रंग नहीं चाहते उसमे ! दुनिया का नक्शा हो ,रूस के लिए रंग न रहे !
यूनाइटेड नेसन ऑर्गेनाइज़शन ने घबराकर चिंतित होकर चीन की तरफ देखा ! चीन के प्रतिनिधि ने कहा ,हे महानुभाव हमारी अपनी कोई आकांक्षा नहीं है , इन दोनों की आकांक्षाएं एक साथ पूरी हो जाए , तो हमारी आकांक्षा अपने आप पूरी हो जाएगी
ये कहानी जूठी है मगर ये स्थिति जूठी नहीं है ऐसे ही विनाश को हम आमंत्रित कर रहे हैं
विज्ञानं की शक्ति की खोज अपने आप में घातक सिद्ध हो गई है जैसे हम भारतियों ने इसी तरह धर्म की भी खोज की थी बुध, महावीर, नानक , धन्ना जाट ,सदना कसाई , सैन ,कबीर, रविदास महापुरुषों ने पूरी दुनिया को एक मार्ग दिया जो विवेक, तर्क पर खरा उतरे और जो विज्ञानं के साथ मिलकर मानवता का कल्याण कर सकें ! अतः दीपो भव अर्थात अपना दीपक आप बनो ! तथागत बुद्ध के विचारों पर आज विज्ञानं ने बहुत से आयाम को खोज लिया है और बहुत कुछ शेष है ! धर्म अकेला भी घातक सिद्ध होता है भीतर शान्ति तो बढ़ जाती है लेकिन बाहर अशक्ति ,कमजोरी ,दीनता , दरिद्रता आ जाती हैं और जैसे ही अधर्मी को मालुम होता है की वो समूह या मानव शांत हो गया है उसको अपने अधीन एवंम गुलाम बनाने में कोई मुश्किल नहीं आती !
विज्ञानं व् धर्म एक दूसरे के पूरक हैं मगर विज्ञानं को आगे रखना मानव हितकर है विज्ञानं हमें शक्ति देता है और धर्म हमें शान्ति प्रदान करता है दुःख व् अफ़सोस तब होता है जब शक्तिहीन राष्ट्र शांति की खोज में अपने लोगों के जीवन को नर्कमय बना लेता है ! आज अमेरिका रूस चीन जापान जर्मनी फ्रांस व् अन्य विकसित देश शांति की तलाश में लगे हैं और भारत धार्मिक अंधविश्वास में शक्ति खोज रहा है ! भारत को पहले विज्ञानं में अपनी शक्ति की खोज करनी चाहिए क्योंकि धर्म तो हम पहले ही खोज चुके हैं तथगत बुध व् तथागत महावीर ने पूरी मानव सभ्यता को आनंदित किया है !
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