guru ravidas bani 1. वैखरी 2 . मध्यमा 3. पशयन्ति 4. परा संतो की चार प्रकार की बाणी होती है। परा, पश्यन्ती ,मघ्यमा और वैखरी। वैखरी बाणी जिनमें आम बातें बताई जाती है उन्हें आप चेतावनी भी कह सकते हैं ।इसमे शब्द न होकर अक्षर होते हैं।और जब शब्द ,अक्षर में बदलते है तो इन्द्रियों का प्रसार बढ़ जाता है। इसकी अवस्था जाग्रत होती है मगर ज्ञान बगैर यह बाणी और अवस्था दोनो भरम में रहती हैं। मध्यमा बानी के शब्द कंठ तक होते है अवस्था स्वपन सी होती हैं। मिथ्या स्वपन आते हैं। दुख और दुख को ज्यादा मानने व करुणा प्रज्ञा न होने से भरम स्थिति होने की वजह ज्ञान रहित बाणी है। पश्यंती बाणी में शब्द ह्रदय तक पहुचते है और इसकी अवस्था सुखोपति होती है। मनुष्य गलत, ठीक का आंकलन कर सकता है। वह शीलवान और चेतन मानव हो जाता है मगर पूर्ण मुक्त नही हो सकता। परा की बाणी शब्द ही रहतीं हैं अक्षर नही बनती तथा नाद प्रकट करती है। भरम और तृष्णा को खत्म करती है। इसमें चेतन चिंतन की अवस्था होती है जिसे तुरिया कहते हैं पर हमें आने के बाद तुरिया अवस्था में जिव से हंस हो जाता है विवेकशील ...
हर भारतीय चाहे वो हिंदू ,मुस्लिम ,सिख ,ईसाई ,बौध ,पारसी ,जैन ,नर ,नारी ,छोटा ,बड़ा ये जानना ज़रूरी है की बाबा शाहेब का जन्म एक संपन ,सुसंस्कृत परिवार में 14 april 1891 को सूबेदार रामजी राव सकपाल के घर हुआ । आधुनिक भारत के निर्माता का बाल्यकाल जीवन ख़ुशियों भरा था उनके पिताजी के पास कोई कमी नही थी ।उस वक्त में ज़्यादातर लोग अनपढ़ होते थे मगर बाबा शाहेब के पिताजी व दादा जी तब भी शिक्षित थे । बाबा शाहेब बहुत ही हस्ट पुष्ट लंबी क़द काठी के थे उनके व्यक्तित्व को देखते ही लोग उनसे प्रभावित हो जाते थे । बाबा साहेब का जब स्कूल में दाख़िला करवाने के लिये उनके पिताजी गए तो क़द काठी व्यक्तित्व से वो पहचान नही पाये की ये अछूत जाति से है । जब स्कूल अध्यापक ने उनकी जाति पूछी तो उनका दाख़िला करने से मना कर दिया । ये बात बालक भीम को मालूम हुई तो उन्होंने व उनके पिताजी ने ये प्रतिज्ञा की सब जातिगत ऊँच नीच की बेड़ियों को तोड़ूँगा और बालक भीम को शिक्षित करके भारत को विकसित समाज, व राष्ट्र बनाउंगा । बाबा शाहेब का जीवन सम्पूर्ण भारतवासियों को प्रेरणा देता है शिक्षित बनो, स...
chief minsiter Km Maywati ji सितंबर 1996 मे उत्तर प्रदेश की 13 वी विधानसभा के लिए हुए चुनाव मे जनता ने किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं दिया ! बीजेपी को 174 सीटें मिली थी तथा समाजवादी पार्टी को 110 सीटें! यह चुनाव बसपा ने काँग्रेस पार्टी के साथ मिलकर लड़ा था हम दोनों को क्रमश: 67 और 33 सीटें मिली थी! तब मई 1996 के लोकसभा चुनाव के बाद केन्द्र मे काँग्रेस की मदद से संयुक्त मोर्चा की सरकार चल रही थी, जिसमें श्री मुलायम सिंह यादव प्रतिरक्षा मंत्री बने हुए थे ! काँग्रेस पार्टी को मगर इतनी अक्ल नहीं आयी की केन्द्र मे संयुक्त मोर्चा की सरकार को समर्थन देने के एवज मे उत्तर प्रदेश मे सरकार के गठन हेतु सहयोग मांगे और सहयोग न मिलने पर केंद्रीय सरकार से काँग्रेस द्वारा समर्थन वापिस लेने की कारवाई करे ! इस प्रकार उत्तर प्रदेश मे चुनाव के बाद भी त्रिशंकु सदन के कारण राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया ! लेकिन सभी राजनीतिक पार्टियों को आने वाले समय मे यह एहसास हुआ कि उत्तर प्रदेश मे वास्तव मे राष्ट्रपति शासन न होकर श्री मुलायम सिंह या...
Arnab ji Bas Ye Bata do Apke 1000 crore Rupees kaha se aaye h kiya Modi ji ne Gift kiye h apko Apki mehnat ke
जवाब देंहटाएंMubarak
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