संत शिरोमणी कबीरदास जी मार्ग दाता - आचार्य धर्मवीर सौरान


ये बाणी कबीरदास जी के शिष्य गरीब दास जी की है।
गजब की सोच और समर्पण है।।

रे हँसा , तू है आप सदाता।
तेरे ऊपर औऱ ना कर्ता, ये ढक्कन किस नै ढाका।।

ईश्वर ,ब्रह्म, आत्म, परमात्म, किया सपन सम हाका।
अंतक जाल रचै बहु भांति, इनमे मिलै ना काखा।।

गुरु शिकारी बन कै पंछी, करें अकाल समाका।
इन नै निर्मल ज्ञान पै पर्दा डाल कै, मिथ्या भरम भराटा।।

भाष, अभाष, अनुमान कल्पना, आर पार सब फाँसा।
अब निर्णय करके समझ आप को, कौन सबन का आका।।

तू है सबका जाणनहारा, अनुभव ज्ञान सलाका।
सारे व्यापक और ना कोई, महापुरुषों नै भाख्या।।

अजर अमर स्वरूप तेरा, जनम मरण ना वा का।
गरीबा कहै , भेट गुरु बुद्धमय, निर्भय उड़ै है खुलासा।।

आचर्य
धर्मवीर सौरान

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