Dr.Ambedkar Times

बाबा साहेब डॉक्टर आंबेडकर एक क्रान्ति
चौदह  अप्रैल  1891 को बाबा साहेब महू छावनी में माता भीमा बाई  व् पिताजी सूबेदार रामजी सकपाल के  घर ऊँच आदर्श परिवार में पैदा हुए । बाबा शाहेब के दादा जी भी भारतीय सेना में कार्यरत थे । बाबा शाहेब का परिवार ऊँच विचारों के साथ साथ  संवेदनशील, ग़ज़ब का राष्ट्र प्रेम लिये हमेशा ग़रीबों शोषितों को जागरुक करने में लगा रहता था । उस समय में भारतीय समाज जात पात के घोर अंधकार में डुबा हुआ था लोग एक दूसरे इंसान से घृणा करते थे और पुरी मानवता अमानवीय होकर चोरी लूट खसोट अनैतिकता में डुबी हुईं थी । जात पात का ऐसा तांडव था की लोग एक दूसरे की परछाई से भी नफ़रत करते थे । सूर्य छुपने के बाद कोई भी अपने घरों से नही निकलता था । 

शिक्षा सिर्फ़ पुरोहित  ले सकता था और क्षत्रिय  व वैश्य  को  दे सकता था । क्षत्रिय  शिक्षा ले तो सकता था मगर वो किसी को शिक्षा दे नही सकता था ऐसे ही वैश्य शिक्षा ले सकता था मगर दे नही सकता था । सूद्र को 6743 जातियों में विभाजित किया हुआ था वो न ही तो शिक्षा ले सकते थे और न ही शिक्षा दे  सकते थे !  किसान और मजदूर वर्ग नर्क की जिंदगी जी रहा था धार्मिक पाखंडवाद इतना गहरा था की  सूद्र ये समझता था की मेरे साथ जो अमानवीय व्यवाहर  हो रहा है ये  पूर्व जन्म का फल  मुझे मिला  है और पुरे शोषण को जीवनभर सहता हुआ गरीबी में, अभाव में  कुत्ते बील्ली  की तरह मर जाता था  !  एक इंसान किसी दूसरी जाति  के घर  का पानी  व् खाना नहीं खा सकता था ! 

उस वकत में जमींदारी  प्रथा  थी  सिर्फ वैश्य  व् क्षत्रिय  ही  जमीन  के मालिक  थे उन्ही  का सभी प्राक्रतिक संसाधनों  पर  एकाअधिकार  था ! वर्तमान में जो जातियां जमीन की मालिक हैं उस समय में ये सिर्फ उस पर खेती करती थी और जमींदार को लगान देती थी चाहे अकाल भी क्यों न पड़  गया हो ! किसान की सारी फसल वैश्य के घर पर पहुँच  जाती  थी और किसान बेचारा निःसहाय  बना हुआ अपने बच्चों को कुछ भी नहीं दे पाता था ! गाव में  बनियों की दूकान होती थी  और वो सामान  के दस गुना तक भाव लगाता  था और किसान अनपढ़ता की वजह से उसकी चालाकी व् षड्यंत्र को समझ नहीं पाता था !  इस  घोर अन्धकार  युग में सुद्रो को पढ़ने  का अधिकार  नहीं था भारत के mअंग्रेजीकाल में अंग्रेजो ने सभी के लिए पढ़ने व् पढाने  का कानून बनाया उस वक्त के पुरोहितों पाखंडियों अधार्मिक रूढ़िवादी  अमानवीय लोगों ने इसका विरोध किया मगर अंग्रेज सहमत नहीं हुए !इस अन्धकार युग में भीम राव  आंबेडकर  जी शिक्षित व् दीक्षित हुए ! दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शिक्षित लोगोँ  में  पूज्य  बाबा साहेब  का नाम सुमार है !

बाबा साहेब ने  अमेरिका इंग्लैंड जर्मनी में ऊँच शिक्षा प्राप्त की ! आपने विदेशो में जो शिक्षा ग्रहण की उसमे छत्रपति  साहू जी महाराज का विशेष योगदान रहा ! बाबा साहेब संस्कृत भाषा पढ़ना  चाहते थे मगर पाखण्डियों रूढ़िवादियों  ने कहा की ये देवताओं की भाषा है इसको कोई सूद्र नहीं पढ़ सकता इसको पढ़ने के लिए आप जर्मनी गए और वंहा संस्कृत में पीएचडी करके सारे धर्म ग्रंथ पुराण समृतिया का अध्यन किया और समझा ,भारत में जो छुआ छात है  ऊंच नीच है उसके पीछे धर्म सबसे बड़ा कारण है ! बाबा साहेब ने प्रतिज्ञा कि मैं हिन्दू पैदा हुआ मेरे बस में नहीं था मगर मरूंगा नहीं ! बाबा साहेब ने सार्वजिनक रूप में मनुसमृति का दाह संस्कार किया तो भारत के पोगे पाखंडी रूढ़िवादी अधार्मिक लोग  परेशान होकर चिल्लाने लगे की आंबेडकर हमारे धर्म को अपमानित कर रहा है बाबा साहेब ने कहा की वो धर्म कम से कम मानव के लिए नहीं हो सकता जो मानव समाज  में भेद भाव. छोटा बड़ा, ऊंच नीच पैदा करता हो। 

लन्दन में गोल मेज सम्मलेन में देश के बहु संख्यक  वंचित लोगों के लिए बाबा साहेब दो  वोट का अधिकार, सम्पति का अधिकार। शिक्षा का अधिकार, समानता का अधिकार लेकर आये तो गाँधी जी को लगा की अगर आंबेडकर भारत के बहुसंख्यक लोगों को वो सभी मानवीय अधिकार दे देंगे तो फिर सवर्ण लोगों की श्रेश्ठता कैसे बचेगी और गाँधी जी जेल में रहते हुए ही आमरण अनसन पर बैठ गए ! 

बाबा साहेब की ऊंच शिक्षा की बदौलत उनको आज़ाद भारत का संविधान बनाने का न्योता मिला जिसको बाबा साहेब ने सहर्ष स्वीकार किया ! और आपने सभी भारतीय नागरिकों को  एक समान सभी मानवीय अधिकार दिए ! आप आज़ाद भारत के प्रथम कानून मंत्री रहे और आपने संसद में हिन्दू कोड बिल पेश किया  !उस समय के रूढ़िवादी सांसदों ने पास नहीं होने दिया जिसमे आपने सम्पूर्ण भारतीय  नारी को अधिकारों देने के रूपरेखा तैयार की  आप नारी की आज़ादी के पुरजोर पक्षधर थे जो बिल बाद में संसद में टुकड़ो में पास हुआ !

आज हम भारतीय खासकर  हिन्दू समाज की महिलाओं में जो विशवास व् परिवर्तन  देखते हैं  वो आपकी ही देन है आप किसी परिवार व् देश की उन्नति उस देश के महिलाओं की उन्नति को ही पैमाना मानते थे !  पहले महिलाओं  को शिक्षा का अधिकार नहीं था आपने ही संविधान के माध्यम से महिलाओं को हर क्षेत्र में आगे बढ़ने के कानूनी अधिकार दिए !

आपने   चेतावनी देकर कहा कि अगर भारत में सच्चा लोकतंत्र स्थापित करना है तो जातियों का विनाश करना होगा क्योंकि जातियों में भेदभाव निहित है जंहा ऊंच नीच हो वंहा लोकतंत्र स्थापित नहीं हो सकता !  आपने 14 October 1956  को बुद्ध की शिक्षाओं को अपनाते हुए और मानते हुए की यही भारत का पोराणिक धर्म है, को अपनाकर स्मार्ट अशोक के सपनो का भारत बनाने का दृष्टिकोण रखा ।
तथागत भगवान बुद्ध के संदेश अपना दीपक आप बनो अपनाते हुए,पुरी मानवता को जनकल्याणकारी मार्ग दिया हम भारतीय सदा आपके आभारी रहेंगे ।

विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान समानता न्याय बंधुता भाईचारे पर आधारित आज भारत की शान हैं आप  हमे  6 December 1956 को छोड़ कर दुनिया को अलविदा कह गए ।
भारत हमेशा आपका ऋणी रहेगा ! आप भारत की महानतम विभूतियों में से एक हैं ! आज सम्पूर्ण राष्ट्र आपको भावपूर्ण आदरपूर्ण सर्दांजलि अर्पण करता है !

शिक्षित बनो 
संग्रर्श करो
संगठित रहो 

ये आपके दिये हुए मूलमंत्र आज भारत को रोशनी दे रहें हैं ।


जय भीम जय भारत 

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