बाबा शाहेब का जनदिवस मना लिया । लेकिन जानना ज़रूरी है -उठो पढ़ो- परमिंदर सिंघ


बाबा साहेब का जन्मदिवस मना लिया ?
शाबास बहुत अच्छे, लेकिन अब क्या ?
अब क्या ?
मना तो लिया, अगले साल फिर मनाएंगे, और धूम-धड़ाके से।
चलिये ठीक है, लेकिन क्या बहुजन महापुरुषों का मिशन साल में उनका एक दिन जन्मदिन मनाना भर है ? क्या उन्होंने अपना जीवन इसी जन्मदिन को मनवाने के लिए लगाया था या आपके पीछे अपना खून-पसीना लगाने का उनका कुछ और बड़ा मकसद था ?
कहीं ऐसा तो नही कि साल में महज एक दिन जन्मदिन मनाकर आप सामाजिक जिम्मेदारी का बोझ उतारकर फेंक देना चाहते हैं ? कहीं ऐसा तो नही आप ऐसा करके उन महापुरुषों, समाज, देश, घर-परिवार तथा स्वयं को धोखा दे रहे हैं ?
क्योंकि यदि ऐसा है तो फिर जन्मदिन भी मत ही मनाइए, क्योंकि इसके बाद साल भर फिर आपको कुम्भकर्णी नींद में ही चले जाना है। लेकिन यदि आपको वास्तव में समाज का दर्द है तो कमर कसकर तैयार हो जाइये बहुजन विचारधारा के प्रचार-प्रसार के लिए, हर रोज।

मिशन चलाना मुर्दा लोगों का काम नही है, ये तलवार की धार पर नंगे पैर चलने के समान है। इसमें हर रोज आपको समय, बुद्धि, हुनर, श्रम और पैसा लगाना होगा। कहीं आपको सम्मान मिलेगा और कहीं अपमान भी, और यहीं आपकी जीवटता की असल परीक्षा होगी कि आप इस अथाह सागर को पार कर पाएंगे कि नही ?

समय लीजिये, ठंडे दिमाग से सोचिये और फिर फैसला कीजिये कि आपको करना क्या है ? बहुजन महापुरुषों के आपके पीछे लगाए गए जीवन का कर्ज अदा करना है या फिर साल भर में उनकी सिर्फ जयंती मनानी है ?

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