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इंडिया नामक गठबंधन से मिल जाए तो सेकुलर न मिलें तो भाजपाइ- बहन कुमारी मायावती जी

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कुछ दिन पहले तक बीजेपी और आरएसएस की अन्य सहयोगी संस्थाएं लगातार राहुल गांधी पर हमला कर रही थी तथा उन्हें हर वक्त पप्पू सिद्ध करने में पुरजोर ताकत लगाती थी। तमाम मीडिया भी राहुल गांधी को एक तमाशबीन व मसखरा आदि बताने का काम करते थे।  मगर अभी आप सुधीर चौधरी - TV presenter को देख करके हैरान हो जाएंगे ,जो अब भाजपा की बुराई करते हुए और राहुल गांधी को महिमा मंडित करते हुए पाएंगे । क्योंकि आरएसएस, अब बीजेपी के लिए चुनावी मैदान साफ कर रहा है।  *इसलिए नूरा कुश्ती की तैयारी की जा रही है ।* जिसके लिए एक "कमजोर पहलवान " को "उससे भी कमजोर " पहलवान से लड़ाने की तैयारी कर रहे हैं।  इसलिए मोदी के सामने राहुल गांधी का चेहरा पेश किया जाएगा।  सभी जानते हैं कि कांग्रेस ज्यादातर तभी जीतती है, जब उसे दलित वोट मिल जाते हैं । *दलित और आदिवासियों के वोट पाने के लिए कांग्रेस ने दलित नेता खड़गे को आगे किया है* और उसके नेतृत्व में 2024 आम चुनाव लड़ने का निर्णय किया है ।मगर जब  *प्रधानमंत्री बनने का बात करेंगे, तब वह दलित चेहरा पीछे छुपा दिया* जाएगा और राहुल गांधी का चेहरा सामने पेश किया जाएगा ।

मैने निर्धनों से कहा की पहला नोट मेरे डिब्बे में दुसरा वोट चुनाव आयोग के डिब्बे में - मान्यवर कांशीराम साहब*

 यही से एक वोट के साथ एक नोट का डिब्बेवाला कार्यक्रम यही से शुरू हुआ.. मैने डिब्बे से नोट गिना तो 32000 नोट निकले.. और चुनाव कमिश्नर ने अपने डिब्बे से वोट गिने तो 86000 वोट निकले. - मान्यवर कांशीराम साहब.. मैने महाराष्ट्र के पेंटरों से कहा की पुरे इलाहाबाद में 1 लाख हाथी छपवा दो - मान्यवर कांशीराम साहब...  महाराष्ट्र से आये बसपाई पेंटरोंने इलाहाबद की दिवारों पर 1 लाख हाथी छपवाये... हमारा निर्धन समाज का मुकाबला धनवानों वाले मनुवादी समाज से है - मान्यवर कांशीराम साहब.. पढ़िये यह मान्यवर कांशीराम साहब की जुबानी..  साथियों, 1988 में इलाहाबाद संसदीय सीट का उपचुनाव हुआ, वहां से मैने अपना नाम भरा। जहा एक तरफ काँग्रेस पार्टी मैदान में थी, तो दुसरी तरफ सारी विपक्ष पार्टियों की ओर से व्ही.पी.सिंग चुनाव मैदान में थे, जिनके पास खर्चने को करोड़ों रुपया था.. और हमारे पास वहां पर पैसों की बहोत कमी थी. तब वहां पर मैने चुनाव के लिये एक डिब्बा खरीदा, एक रेड़ी किराये पर ली। रेड़ी पर हारमोनियम लेकर पार्टी के गाना गाने वालों का साजबाज रखा और मैं उस रेडी के पीछे-पीछे "एक वोट के साथ एक नोट" डालने व

पर्दे के पिछे का सच

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  📢✍️पर्दे के पीछे  क्या  है   पर्दे के पीछे बहुत कुछ छुपा होता है और चालाक लोगों को बहुत सारा झूठ पर्दे के आगे परोसने की आदत है  !  अगर सच ही  बोलना और दिखाना है तो पर्दे की जरूरत ही  नहीं  है!  भोले-भाले लोग पर्दे के आगे जो बोला जा रहा है उसको ही सच मानकर सहयोग करने लग जाते है मगर कुछ दिनों के बाद आँखों से पर्दा हटता हैँ तो ठगा महसूस  करते  है  मगर अब  क्या  ? जो आपका दुरुपयोग करना था वो  किया  जा चुका  है  !  ऐसा  एक  बार नहीं  बार बार हो रहा  है ! कुछ चालाक चतुर लोग बाबासाहेब के विचारों को आरएसएस की faceless( बिना चेहरे)सोच मे बांध कर लोगों का मानसिक, आर्थिक शोषण करने पर  लगे है !संत  शिरोमणी कबीर दास जी ने  कहा  है!   *धर्म राज की नींव है,राज धर्म समसीर।*   *पहला कबीरा राज को, धर्म ध्वज प्राचीर।।*  पहले राज की स्थापना करो धर्म की पताका स्वयं सबसे ऊंची मीनार पर फहर जाएगी  ! बिना राज के धर्म कभी भी  प्रफुल्लित नहीं  हो  सकता ! महापुरुषों के कथनों को जब चुनाव आता है ये  तथाकथित धार्मिक पताका फहराने वाले लोग पर्दे के पीछे रहकर faceless आरएसएस  सोच की पार्टियों को अपना वोट देने का काम

मैने माँ के एक हाथ से थपड़ और दूसरे हाथ से रोटी खाई हैं

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परिनिर्वान  16/02/2016 माँ एक सुखमय एहसास है माँ एक  दुनिया है माँ से ही घर संसार है  माँ एक ताकत है  माँ ही विश्वास है  माँ ही फट कार ,माँ ही दुलार है  माँ ने ही बताया रिश्तों का व्यवहार है  माँ होती है तो पिताजी भी ज़वान  है  माँ रहती है तो रिश्तों मे होती जान है  माँ का होना कितना सुखादाई  है  माँ के बिना सब कुछ दुखदाई  है  माँ के बिना कोई जीना जीना नहीं  माँ नहीं तो जैसे खुशी का कोई मौका नहीं  माँ है तो खुशीया  रहती बरकरार है  माँ के बिना घर मे आ जाती दरार है  माँ के साथ, माँ के आसपास और माँ के परिनिर्वाण के बाद  बहुत कुछ बदल गया है!   माँ को शत शत नमन , माँ एक विशेष है इसलिए माता पिता के द्वारा किए हुए अच्छे कामों को निरंतर आगे बढ़ाते रहे!!

गरीबों के मसीहा,जननायक कर्पूरी ठाकुर जी का जीवन परिचय

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  गरीबों के मसीहा,जननायक कर्पूरी ठाकुर की जयंती पर कोटि कोटि नमन*          *((24 जनवरी 1924))*   *•✓जननायक कर्पूरी ठाकुर का जन्म*  जननायक कर्पूरी ठाकुर का जन्म 24 जनवरी 1924 को समस्तीपुर जिला के  पितौंझिया गांव में हुआ उनकी माता ‘राम दुलारी देवी’ और उनके पिताजी का नाम “गोकुल ठाकुर” था और उनकी पत्नी का नाम ‘फुलेशरी देवी’ था ठाकुर जी के बाल्यावस्था अन्य गरीब परिवार के बच्चों की तरह खेलकूद तथा गाय, भैंस और पशुओं के चराने में बीता उन्हें दौड़ने, तैरने, गीत गाने तथा डफली बजाने का शौक था | कर्पूरी ठाकुर का जीवन परिचय |  *•✓कर्पूरी ठाकुर की शिक्षा*  6 वर्ष की आयु में इनका गांव  की ही पाठशाला में दाखिला कराया गया कर्पूरी ठाकुर के अंदर बचपन से ही नेतृत्व क्षमता ने जन्म लेना शुरू कर दिया था छात्र जीवन के दौरान युवाओं के बीच लोकप्रियता हासिल कर चुके कर्पूरी ठाकुर ने अंग्रेजो के खिलाफ मोर्चा खोल दिया इसके बाद उन्होंने 1940 में मैट्रिक द्वितीय श्रेणी से पास किया और दरभंगा के चंद्रधारी मिथिला महाविद्यालय में आई.ए. में नामांकन करा लिया करपुरी ठाकुर अपने घर से कॉलेज रोज 50 -60 किलोमीटर तक यात्रा करते

बहुजनो के हार के अनेकों कारण है

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  बहुजनो के हार के अनेकों कारण है। जिसमे अंधभक्ति सबसे ज्यादा है। भारत मे लोग नागरिक कम है,आदमी ज्यादा है। अब सवाल ये है कि ये "आदमी " का क्या मतलब है ? तो इसका मतलब ये है:- मोदी के आदमी, बीजेपी के आदमी, आप के आदमी, मेश्राम जी के आदमी बसपा के आदमी, दरोगा जी के आदमी सांसद जी के आदमी मायावती जी के आदमी कांग्रेस के आदमी आशाराम के आदमी राम रहीम के आदमी इत्यादि। जिस दिन हम एक नागरिक के तौर पर अपने व पराये नेताओ का समीक्षा करेंगे,उस दिन शायद हम सत्य दिखाई देगा। रतन लाल जी ने जो भी मेश्राम जी के बारे मे बोला 100% सही बोला। कारण :- -मेश्राम जी ने खुद बोला है कि जब कांशीराम जी ने मायावती को आगे बढ़ाना शुरू किया तो हम लोग पीछे हटे। अर्थात इनको आगे बढ़ाते तो ये लोग नही हटते। -जिस बामसेफ को कांशीराम जी ने रजिस्टर्ड नही कराया,उनको इन लोगो ने रेजिस्ट्रेड करवाया। -मेश्राम जी का कहना है कि कांशीराम जी ने पार्टी बनाई,इसलिए वे लोग हटे। फिर सवाल ये है की फिर बामसेफ किस लिए बनी ? -ब्राह्मण देशी है कि विदेशी है इस पर बाबासाहेब ने कभी अपना पसीना नही बहाया। जब संविधान सभी को नागरिकता देता है तो फिर व

खर्चे हेतु एक संस्था बनाते है

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  चल यार मिशन चलाते है,*  *खर्चे हेतु एक संस्था बनाते है*...!!! *दो चार चेलो को पाले*,  *उनसे नारे लगवाते है*....!!!  *चल यार मिशन चलाते है*........ *चार मैं जोडू और चार तू जोड़,*  *अपनी संख्या बढ़ायेंगे*...!!! *मैं अध्यक्ष तू महामन्त्री,*  *ये सबको बतलायेंगे*,....!!! *चन्दा बटोर कम्पनी बन*, *आधा-आधा माल खाते है*...!!! *चल यार मिशन चलाते है.*... *विधायक जी के पास चले*, *कुछ चन्दा हिस्से आयेगा*...!!! *100-100 अगर मांगे हमने,*  *50 तो जरूर मिल जायेगा...!!!* *वरना सुन 10 हजार का ,*  *एक मुख्य अतिथि बनाते है...!!!* *चल यार मिशन चलाते है....* *जितना लम्बा भाषन होगा,* *उतना घर में राशन होगा...!!!* *इस मिशन की आड़ में,*  *फिर तो अपना शासन होगा...!!!* *हम है कट्टर देशभक्त*, *दुनिया को बतलाते है...!!!* *चल यार मिशन चलाते है....* *अरे एक काम करो अब,* *एक कार्यक्रम रखवायेंगे...!!!* *मंच, माला के संग माइक,* *स्वागत अपना करवाएंगे....!!!* *एक दो गायक, कवि,* *शायर को भी बुलवाते है....!!!* *चल यार मिशन चलाते है....* *अपनी संस्था सबसे ऊँची,*  *गला फाड़-2 बतलायेंगे...!!!* *इस मिशन को गड्ढे भीतर,*  *निम्न द्

शिकारी और पालतू तितर का गठबंधन

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  *✍️बात पुरानी है लेकिन आज के परिपेक्ष मे ताजा है, समय निकाल कर एक बार जरूर पढ़िए!*  एक बार एक🏹 शिकारी जंगल से एक 🦉तीतर पकड़ कर लाता है। उसे अपने घर पर रखता है और खूब काजू बादाम किशमिश खिलाता है, सूखे मेवे खाने के चक्कर में वह वहां से कभी भागने का प्रयास नहीं करता !  जब🦉 तीतर बड़ा हो जाता है तो वह शिकारी🏹 उसे साथ लेकर जंगल जाता है !  जाल बिछाता है और तीतर को वहीं पिंजरे में रखकर खुद झाड़ी के पिछे छिप जाता है और तीतर से बोलता है बोल बे!  *तीतर अपने मालिक की आवाज सुनकर जोर जोर से चिल्लाता है, बचाओ  बचाओ* उसकी आवाज को सुनकर जंगल के सारे तीतर ये सोचकर कि ये अपनी कौम का है, जरुर किसी परेशानी में है, मदद करने के लिए पुकार रहा है और शिकारी के बिछाये जाल में फस जाते हैं !  फिर शिकारी मुस्कराते हुए आता है, पालतू तीतर को अलग कर वो सारे कैदी तीतरों को दुसरे झोले में रखकर घर लाता है। इसके बाद अपने पालतू तीतर के सामने ही पकड़े गए सारे भोले-भाले तीतरों को एक एक करके काटता है, *मगर पालतू तीतर उफ़ तक नहीं करता !*  कैसे करता उसे अपने हिस्से का थोड़ा बहुत खुराक काजू बादाम किशमिश जो  मिल रहा था !  औ

पंडितों से वैदिक रीति से शादी करवाना अपराध है

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*🔥पंडितो से वैदिक रीति से शादी करवाना अपराध है🔥*      *In 1819, by the Act 7, the Brahmins prohibited the purification of the women.  (On the marriage of the Shudras, the bride had to give her physical service at the house of Brahmin for at least three nights without going to her mother's house.)*    *ब्रिटिश सरकार ने 1819 में अधिनियम 7 द्वारा ब्राह्मणों द्वारा शुद्र स्त्रियों के शुद्धिकरण पर रोक लगाई।   (शुद्रों की शादी होने पर दुल्हन को अपने यानि दूल्हे के घर न जाकर कम से कम तीन रात ब्राह्मण के घर शारीरिक सेवा देनी पड़ती थी।)*      इस विषय पर एक पिक्चर "अंकुर" बन चुकी है। जिसमें सबाना आजमी ने दुल्हन की भूमिका निभाई है।    यही नही आज भी शादी के वक्त  बधू से सातो बचन जो दिलाए जाते है, उसमे सबसे पहला और मुख्य वचन यह होता है।    *पहला वचन--मै अपने पुरोहित की उनकी इच्छा अनुसार दान दक्षिणा, सेवा सत्कार करती रहूंगी, उसमे पतिदेव जी का कोई हस्तक्षेप नही होगा। इस वचन को लेकर शादी के समय कयी बुद्धिजीवी लोगों द्वारा विरोध जताने पर अब इस वचन को समझदार पंडितों ने निकाल दिया है।*   

मुजफ्फरनगर गांव में चमारों को पाँच हजार जुर्माना और पचास जुते मारने के आदेश

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उत्तर प्रदेश के ज़िला मुज़फ़्फ़रनगर गाँव पावटी खुर्द में खुलेआम मुनादी हो रही है कि "कोई भी 'चमार' उसकी डोल,समाधि,ट्यूबवेल पर दिख गया तो 5 हजार रुपए जुर्माना और 50 जूते होंगे! हिंदू बनने का जिनको शौक़ चढ़ा था, उन्हें अब समझ आ गया होगा ?  प्रिय साथियों ! हमारे लोग ज्यादातर गुमराह है। वे जातियां बदलने में माहिर हैं । और गुमराह हो करके, एक जाति छोड़ करके, नई जाति को जन्म दे देते हैं।  इसलिए देश के दलित और पिछड़े बहुजन लोग, हजारों की संख्या में जातियों में बटे हुए हैं। बाबा साहब ने बार-बार कहा कि हमारी समस्या जाती तो है मगर उसकी वजह धर्म है।  इसलिए धर्म को छोड़ दो । मगर हमारे लोग अपनी सारी एनर्जी जाति बदलने में, तोड़ने में, या जाति छोड़ने में लगा देते हैं मगर धर्म नहीं छोड़ना चाह रहे।  बाबा साहब ने 14 अक्टूबर 1956 को हिंदू धर्म को छोड़कर के धम्म मार्ग को अपनाया था । इसलिए यह ध्यान रखने की बात है कि बाबा साहब ने धर्म छोड़ा था, जाति नहीं । अगर आप धर्म छोड़ देते हैं इन जातियों का कोई महत्व ही नहीं रह जाएगा। मगर जब तक आप इस हिंदू धर्म से चिपके रहोगे,जातियां आपका पीछा नहीं छोड़ेंगी

विजय कुमार खटाना बने गुडगाँव बसपा जिलाध्यक्ष

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दिनांक 7 मई 2022 को बहुजन समाज पार्टी जिला गुड़गांव के संगठन की मीटिंग डॉक्टर अंबेडकर भवन बादशाहपुर में आयोजित की गई जिसमें मुख्य अतिथि आदरणीय जगबीर सिंह फुलिया जी हरियाणा प्रदेश सचिव एवं धन प्रकाश शेरवाल जी हरियाणा प्रदेश सचिव  के साथ-साथ पूर्व पदाधिकारी, कार्यकर्ता  एवं बहुजन समाज पार्टी के  समर्थक उपस्थित रहे संगठन की बैठक में सर्वसम्मति से हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट गुरुमुख सिंह जी की सहमति से श्री विजय कुमार खटाना सरपंच दमदमा को बहुजन समाज पार्टी जिला गुड़गांव का अध्यक्ष मनोनीत किया गया जो  कि पूर्व मे जिला  गुडगाँव के  उपाध्यक्ष थे!  इस मौके पर सभी ने पार्टी को मजबूत करने के लिए अपने विचार व्यक्त किए और लड्डू बांटकर  सरपंच विजय कुमार खटाना जी को जिलाध्यक्ष बनने पर बधाइयां दी ! भविष्य में बहुजन समाज पार्टी को मजबूत करने के लिए सरपंच विजय कुमार खटाना जी को हरसंभव सहयोग और समर्थन देने का आश्वासन दिया!   इस मौके पर बीवीएफ, बामसेफ के  वर्तमान एवं पूर्व के सभी पदाधिकारी मौजूद रहे सरपंच विजय खटाना जी ने सभी का धन्यवाद करते हुए कहां कि संगठन ने  जो मुझमें विश्वास  व्यक्त किया है उसका

आरक्षण_10_वर्षों_के_लिए_कभी_भी_नहीं_था

 #आरक्षण_10_वर्षों_के_लिए_कभी_भी_नहीं_था। आरक्षण 4 प्रकार के हैं :--- 1. पोलिटिकल रिजर्वेशन 2. रिजर्वेशन इन एजुकेशन 3. रिजर्वेशन इन एम्प्लॉयमेंट 4. रिजर्वेशन इन प्रमोशन                   अनुच्छेद 330 के अनुसार :-- लोकसभा में और अनुच्छेद 332 के अनुसार विधानसभा में SC/ST को आरक्षण प्राप्त है और अनुच्छेद 334 में लिखा है कि प्रत्येक 10 वर्षो में लोकसभा और विधान सभा में मिले आरक्षण की समीक्षा होगी और यही वो अनुच्छेद है जिसकी ग़लतफ़हमी सभी को है। सभी लोग ये जान लें : "ये सरासर झूठ है की सभी प्रकार के आरक्षण सिर्फ 10 वर्ष के लिए थे।" अब दूसरे तीसरे और चौथे प्रकार के आरक्षण पर आते हैं :-- अनुच्छेद 15 और 16 जो की मूलभूत संवैधानिक अधिकार हैं, इसमें सम्मिलित 15(4) और 16(4) में शिक्षा और रोजगार में  SC/ST को आरक्षण दिया गया है, और जो ये मूलभूत अधिकार है, इन्हें कोई बदल नहीं सकता~~~ क्योंकि ये मूलभूत संवैधानिक अधिकार हैं।                   " संविधान लागू होने के बाद सत्ताधारी वर्ग और विपक्ष ने जानबूझ कर ये ग़लतफ़हमी फैलाई कि रोजगार और शिक्षा में आरक्षण सिर्फ 10 साल के लिए था"      

बहुजन समाज पार्टी की समस्या और समाधान- बहन जी को पत्र

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बहन कुमारी मायावती जी के नाम एक खुला पत्र  'मान्यवर साहब के मिशन को बचाने के लिए अंतिम संदेश' आदरणीय बहन मायावती जी,  आपको हज़ारों बार सादर प्रणाम, मैं आपके संघर्ष, त्याग  और आत्मसम्मान की लड़ाई के इस दुनिया के करोडों प्रशंसकों में से एक हूँ। मुझे नहीं पता आपको कैसे संबोधित करूँ, क्योंकि मेरे दादा जी, पिता जी दोनों आपको बहिन जी ही करते हैं। खैर पत्राचार के लिहाज से आपको मायावती जी ही लिखूंगा। 1980 में जब आपने मान्यवर साहब के साथ दलितों, अति पिछड़ों के अधिकारों के लिए घर छोड़ कर संघर्ष का रास्ता अपनाया वह भारत के रुढ़िवादी और पुरुषवादी समाज के इतिहास में सबसे क्रांतिकारी घटना थी, वह भी तब जब मान्यवर साहब खुद संघर्ष कर रहे थे, उनके रहने खाने का ठिकाना खुद नहीं था ऐसे में उन मान्यवर साहब के साथ समाज में क्रांति करने के लिए निकलना तब ही नहीं बल्कि आज के समाज के लिए भी बहुत बड़ी बात होगी। मैं अक्सर सोचता हूँ, उस समय घर छोड़ने से पहले आपके दिमाग में क्या चल रहा होगा, कैसे आपने इतना बड़ा निर्णय लिया होगा, आपको तब ये आभास भी नहीं होगा कि जिस मिशन पर आप निकल रहीं हैं उसमें मुख्यमंत्री बनेंगी या

कितनी खरी सलाहाकार की सलाह-विनोद सिल्ला

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                                                                                    हमारे यहाँ हर व्यक्ति सलाहकार है। भले वह उस विषय का विशेषज्ञ भी नहीं हो, तो भी सलाह दे ही डालता है। कई बार अनुभवहीन व्यक्ति भी विषय विशेषज्ञ को सलाह देने का जोखिम उठा लेता है। कुछ सलाहकार व्यवसायिक हैं तो कुछ गैरव्यवसायिक। व्यवसायिक में प्रशिक्षित और गैर-प्रशिक्षित दोनों प्रकार के सलाहकार होते हैं। कुछ सलाहाकार तो अनाड़ी सिरे के निखटु होते हैं। इन सलाहकारों में अधिक कामयाब गैरप्रशिक्षित व्यवसायिक सलाहकार ही होते हैं। भले ही ये कम पढ़े-लिखे हों, लेकिन इन से सलाह लेने वाले, उच्च शिक्षित, उच्चाधिकारी, कानूनविद, शिक्षाविद, चिकित्सक, इंजीनियर, मंत्री-संत्री तक होते हैं। सलाह भी मांगी जाती है निहायत साधारण जैसे कि परिवार में जन्मे नवजात बच्चे का नाम क्या रखना है? परिवार में प्रस्तावित शादी किस दिन करनी है? अपने नए बनाए मकान में प्रवेश कब करना है? नया वाहन खरीदना चाहते हैं कब खरीदें? ये तमाम सलाह 1100, 2100, 3100, 5100, 11000, 21000, 51000 रुपए शुल्क चुकाकर ही मिलती हैं। साथ में गैरप्रशिक्षित सलाहकार के पैर भी

एक ओंकार ,सतनाम

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सतगुरु नानक देव जी फरमाते हैं  गुरु नानक  एक ओंकार ,सतनाम ,करता पुरख, निर्भय,  निरवैर ,अकाल मूरत ,अजूनी स्वैमं गुरु प्रसाद जप ,आद सत, जुगाद सत, नानक होसि वी सत,सतनाम श्री वाहेगुरु , वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी दि फतेह , राज करणगे खालसा, याकि रहै ना कोय। अर्थात:- एक ओंकार:-         एक स्वयम का स्वरूप सतनाम:-               सच्चा ज्ञान ( बुद्धत्व ) कर्ता पुरुख:            सब करने वाला व्यक्ति निरर्भैय:-                भय रहित ( जो कभी गलत कर्म न करे, वही निर्भय) निर्मोह: -                 विकार रहित ( भय, भाष, तृष्णा ) निरवैर: -                 जिसका  का कोई शत्रु न हो ( जैसे बुद्ध का ) अकाल मूरत:-         जिसकी छवि हर काल मे हो। अजूनी: -                 जो किसी योनि / जाती को न मानता हो। स्वैमं:-                     जो स्वयं हो यानी अतः डिपो भव। गुरु प्रसाद जप:-       गुरु के उपदेशों का पालन। आद सत: -               जो आदिकाल से सत्य है जुगादि सत:-             वो युगों युगों तक भी सत्य रहेगा ( ज्ञान ) होसि वी सत:-            वो आगे भी सत्य रहेगा।

बहुजन समाज पार्टी की विचारधारा

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Samajik Parivartan Sthal बहुजन समाज पार्टी की विचारधारा देश व सर्वसमाज के हित मे हैँ! भारत मे मनुवादी व्यवस्था के तहत जो गैर बराबरी वाली सामाजिक व्यवस्था बनी है, उसे बदलकर " समतामूलक-समाज-व्यवस्था "बनाना चाहती है! इस व्यवस्था परिवर्तन मे यदि स्वर्ण समाज मे से जो लोग अपनी मनुवादी मानसिकता को छोड़कर, इसमे सहयोग देते हैं, ऐसे लोगों का पार्टी मे स्वागत किया जाएगा, अर्थात्‌ उन्हें बहुजन समाज की तरह, हर मामले  मे  उनकी लगन व कार्यक्षमता एवं विश्वसनीयता को ध्यान मे रखकर, पूरा आदर-सम्मान भी दिया जाएगा  !  लेकिन बसपा की  विचारधारा के बारे मे एक सोची-समझी  राजनीतिक साजिश के तहत मनुवादी पार्टियों के लोग अक्सर यह प्रचार-प्रसार करते हैं कि यह पार्टी जातिवादी है, जबकि इसमे रत्ती बराबर भी कोई सच्चाई नहीं  है  ! वैसे बहुजन समाज को बनाते समय,उनको झकझोर के  लिए हम  जाति की बातें जरूरत करते हैं, परंतु इसका मतलब यह नहीं कि इस पार्टी को बनाने वाले  लोग जातिवादी है  ! सच तो यह है कि इस समाज के लोग ही जातिवाद के शिकार है और  जो जातिवाद के शिकार हैं, वे जातिवादी कैसे हो  सकते  हैं ? वे जातिवादी कभी 

Unpublished Preface to Buddha and his Dhamma: A book by Dr• Ambedkar

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I was born in the community known in India as the "Untouchables." A question is always being asked of me "How I happened to take such high degrees of education?" Another question is being asked, ' Why I am a buddhist ?" This is the question which I feel that this  preface is the proper place to answer. This is the way it happened .My father was very religious person and he brought me up under a strict religious discipline. Quite early in my carrier, I found certain contradictions in my father religious way of life. He was a 'kabirpanthi'. As such he did not believe in " Moortipuja"(idol Worship). He read the books of his panth. At the same time. he compelled me and my elder brother to read every day before going to bed, a  portion of the 'Ramayana and the Mahabharta' to my sisters and other persons who assembled at my father's house for hearing the 'katha'. This went for a long time number of years. I passed the fourth

अम्बेडकर गांव: विकास की नयी सुबह का आगाज- बहन जी

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chief minsiter Km Maywati ji  सितंबर 1996  मे उत्तर प्रदेश की 13 वी विधानसभा के लिए हुए चुनाव मे जनता ने किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं दिया  ! बीजेपी को  174 सीटें मिली थी तथा समाजवादी पार्टी  को  110 सीटें! यह चुनाव बसपा ने काँग्रेस पार्टी के साथ मिलकर लड़ा था हम दोनों को क्रमश: 67 और 33 सीटें  मिली थी! तब मई 1996 के लोकसभा चुनाव के बाद केन्द्र मे काँग्रेस की मदद से संयुक्त मोर्चा की सरकार चल रही थी, जिसमें श्री मुलायम सिंह यादव प्रतिरक्षा मंत्री बने हुए थे  !  काँग्रेस पार्टी को मगर इतनी अक्ल नहीं आयी की केन्द्र मे संयुक्त मोर्चा की सरकार को समर्थन देने के एवज मे उत्तर प्रदेश मे सरकार के गठन हेतु सहयोग मांगे और सहयोग न मिलने पर केंद्रीय सरकार से काँग्रेस द्वारा समर्थन वापिस लेने की कारवाई करे !  इस प्रकार उत्तर प्रदेश मे चुनाव के बाद भी त्रिशंकु सदन के कारण राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया  ! लेकिन सभी राजनीतिक पार्टियों को आने वाले समय मे यह एहसास हुआ कि उत्तर प्रदेश मे वास्तव मे राष्ट्रपति शासन न  होकर श्री मुलायम सिंह यादव की पर्दे के पीछे से हुकूमत चल रही है! फिर राजनीतिक हलचल